Ranchi : सैन्य अस्पताल परिसर में 2-3 दिसंबर को श्वसन चिकित्सा में उभरती अवधारणा पर राष्ट्रस्तरीय सम्मेलन का आयोजन किया गया. सम्मेलन में देश के कोने-कोने से सेना के डॉक्टरों ने भाग लिया. कोविड- 19 महामारी के बाद से श्वसन चिकित्सा के क्षेत्र में बड़ा बदलाव हुआ है. महामारी के बाद भारतीय सेना का यह पहला सम्मेलन था. भारतीय सेना और विभिन्न नागरिक मंचों के चिकित्सा के क्षेत्र में अग्रणी लोगों ने इस सम्मेलन में भाग लिया. चिकित्सा के विभिन्न क्षेत्रों में हाल की प्रगति पर चर्चा की.
फोफड़ों मे होने वाले विकार पर जानकारी साझा की
श्वसन चिकित्सा के क्षेत्र में 20 से अधिक विशेषज्ञों और प्रोफेसरों ने व्याख्यान दिया. साथ ही फेफड़ों में होने वाले विकार को लेकर जानकारी साझा की. इस सम्मेलन में 100 से अधिक डॉक्टरों ने भाग लिया. विशेषज्ञों ने प्रश्न-उत्तर सत्र में प्रतिनिधियों के प्रश्नों का उत्तर भी दिया.
डॉक्टरों को किया प्रेरित
मेजर जनरल नरेंद्र कोतवाल ने सम्मेलन का उद्घाटन किया. साथ ही डॉक्टरों को मरीज का इलाज करने के लिए प्रेरित किया. सैन्य अस्पताल नामकुम के कमांडेंट ब्रिगेडियर डॉ. आरएन वर्मा ने स्वागत भाषण दिया. उन्होंने कहा कि सम्मेलन के माध्यम से नवीनतम विकास के साथ खुद को अपडेट रखना जरूरी है. श्वसन चिकित्सा के प्रोफेसर कर्नल डॉ विकास मारवाह ने पल्मोनरी एम्बोलिज्म पर चर्चा की. गौरतलब है कि पल्मोनरी एम्बोलिज्म एक घातक बीमारी है. कार्यक्रम में श्वसन संक्रमण को रोकने में टीके की भूमिका पर जोर दिया गया. साथ ही टीके के प्रति पर्यावरण को संवेदनशील बनाने का संकल्प भी लिया गया.
इन्होंने व्यक्त किया आभार
सम्मेलन के आयोजक सचिव लेफ्टिनेंट कर्नल डॉ नीरज शर्मा और मेजर डॉ कुणाल कुमार ने इस सम्मेलन को सफल बनाने के लिए सभी प्रतिनिधियों का आभार व्यक्त किया.
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