New Delhi : संसद भवन से विरोध रैली निकालने के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की. इस मुलाकात में राष्ट्रपति के सामने कांग्रेस नेताओं ने दो मुद्दों को उठाया. कोविंद से मुलाकात में पार्टी के कई नेताओं के साथ पुलिस के दुर्व्यवहार और अग्निपथ योजना का मुद्दा उठाया. इससे पहले राहुल गांधी से ईडी की पूछताछ को लेकर कांग्रेस ने विरोध प्रदर्शन किया था. कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं ने संसद भवन से विजय चौक तक मार्च किया था.
अग्निपथ योजना का भी विरोध
कांग्रेस का आरोप है कि दिल्ली पुलिस के कर्मियों ने पिछले सप्ताह राहुल गांधी से प्रवर्तन निदेशालय की पूछताछ को लेकर हुए विरोध प्रदर्शनों के दौरान पार्टी के कुछ सांसदों के साथ दुर्व्यवहार किया था और पार्टी मुख्यालय के भीतर घुसकर कार्यकर्ताओं की पिटाई की थी. पुलिस ने इन आरोपों को खारिज किया है. इसके अलावा मुख्य विपक्षी दल अग्निपथ योजना का भी विरोध कर रहा है. उसका कहना है कि ये देश और सेना के हित के खिलाफ है.
हमारे लोकतांत्रिक हक का हनन- खड़गे
राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि, हमारे 7 लोगों का दल राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिला और 2 मुद्दे उठाए. हमने उनको अग्निपथ योजना को लेकर ज्ञापन सौंपा और दूसरा जो कांग्रेस को डराने-धमकाने और कुचलने की कोशिश का जा रही है, उसके खिलाफ ज्ञापन सौंपा है. उन्होंने कहा कि सरकार बिना किसी से पूछे ये योजना लाई है. इस योजना पर किसी से चर्चा नहीं हुई. उन्होंने बताया कि मुलाकात में राष्ट्रपति से कहा कि ये हमारे लोकतांत्रिक हक का हनन है.
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12-12 घंटे तक हिरासत में रखा गया
उन्होंने कहा कि हमें डराने की जो कोशिश कर रहे हैं, उनके खिलाफ हमारे नेताओं ने शांतिपूर्वक आंदोलन किया है. जिसमें हमारे सभी सीनियर नेता थे और मुख्यमंत्री भी थे. सभी नेताओं को सताया गया. उनको 12-12 घंटे तक हिरासत में रखा गया. यूपी बॉर्डर और हरियाणा बॉर्डर पर नेताओं को रोका गया. किसी व्यक्ति को बगैर केस किए या नोटिस दिए 12-14 घंटे आप हिरासत में नहीं रख सकते. अगर किसी को हिरासत में रखना है, तो उसका कारण भी देना चाहिए. अगर संसद के सदस्य हैं तो इस बारे में स्पीकर को बताना होगा. न तो स्पीकर को जानकारी दी गई, न ही राज्य सभा के सभापति को.
चिदंबरम ने की राष्ट्रपति से शिकायत
अग्निपथ योजना को लेकर वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने कहा कि सेना में 40000 लोगों को जो ट्रेनिंग देने का वादा किया गया है, उससे कोई फायदा नहीं होने वाला है. उन युवकों को कहीं नौकरी नहीं मिलने वाली है. 4 साल में कोई ट्रेनिंग भी नहीं हो पाएगी और 4 साल के अंदर घर भी आएगा, तो पेंशन नहीं मिलेगी. बिहार, यूपी, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान हर जगह युवक सड़कों पर उतरे हैं, क्योंकि उनके भविष्य से जुड़ा हुआ मामला है. बगैर किसी को पूछे सरकारी योजना लाई गई है. चिदंबरम ने कहा कि, हमने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से विनती की है कि इस पर कोई चर्चा नहीं की गई. हम चाहते हैं कि राष्ट्रपति सरकार को बताएं कि यह योजना ठीक नहीं है.
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