New Delhi : कांग्रेस ने आज शुक्रवार को दावा किया कि इस बात का कोई दस्तावेजी सबूत नहीं है जिससे यह साबित होता हो कि लॉर्ड माउंटबेटन, सी राजगोपालाचारी और पंडित जवाहरलाल नेहरू ने राजदंड (सेंगोल) को ब्रिटिश हुकूमत द्वारा भारत को सत्ता हस्तांतरित किये जाने का प्रतीक बताया हो. पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह दावा भी किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी वाह-वाह करने वाले लोग इस रस्मी राजदंड को तमिलनाडु में राजनीतिक उद्देश्य के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं.
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Is it any surprise that the new Parliament is being consecrated with typically false narratives from the WhatsApp University? The BJP/RSS Distorians stand exposed yet again with Maximum Claims, Minimum Evidence.
1. A majestic sceptre conceived of by a religious establishment in… pic.twitter.com/UXoqUB5OkC
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) May 26, 2023
कांग्रेस ने पवित्र राजदंड को सोने की छड़ी कहकर उसे संग्रहालय में रख दिया
भारतीय जनता पार्टी ने गुरुवार को आरोप लगाया था कि कांग्रेस ने पवित्र राजदंड को पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को उपहार में दी गयी सोने की छड़ी कहकर उसे संग्रहालय में रख दिया और हिंदू परंपराओं की अवहेलना की. चांदी से निर्मित और सोने की परत वाले इस ऐतिहासिक राजदंड को 28 मई को नए संसद भवन में लोकसभा अध्यक्ष के आसन के पास स्थापित किया जायेगा. उसी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नये संसद भवन का लोकार्पण किया जायेगा. रमेश ने ट्वीट किया, क्या यह कोई हैरानी की बात है कि नये संसद भवन को व्हाट्सऐप यूनिवर्सिटी के फर्जी विमर्श से सुशोभित किया जा रहा है?

राजदंड की परिकल्पना तत्कालीन मद्रास में एक धार्मिक प्रतिष्ठान ने की थी
भाजपा /आरएसएस का इतिहास को तोड़ने-मरोड़ने का रुख एक बार फिर अधिकतम दावा, न्यूनतम साक्ष्य के साथ बेनकाब हो गया है. उन्होंने कहा, राजदंड की परिकल्पना तत्कालीन मद्रास में एक धार्मिक प्रतिष्ठान ने की थी और इसे मद्रास शहर में तैयार किया गया था. इसे अगस्त 1945 में जवाहर लाल नेहरू को प्रस्तुत किया गया था. उन्होंने दावा किया कि इस बात का कोई दस्तावेजी सबूत नहीं है कि लॉर्ड माउंटबेटन, सी राजगोपालाचारी और पंडित जवाहरलाल नेहरू ने राजदंड को ब्रिटिश हुकूमत द्वारा भारत को सत्ता हस्तांतरित किये जाने का प्रतीक बताया हो.

