New Delhi : कांग्रेस ने ऑर्गेनाइजड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट (ओसीसीआरपी) द्वारा अडानी समूह के खिलाफ लगाये गये आरोपों को लेकर गुरुवार को मोदी सरकार पर निशाना साधा. आरोप लगाया कि इस कारोबारी समूह ने भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (सेबी) के नियमों का उल्लंघन एवं मुखौटा कंपनियों के माध्यम से भ्रष्टाचार किया है.
नेशनल खबरों के लिए यहां क्लिक करें
Important Thread On Adani Mega Scam: Do Read
OVER 13% STAKE HELD BY OFFSHORE FUNDS CONTROLLED BY ADANI PROMOTERS THEMSELVES?
▪️ Offshore funds owning 13% of Adani stocks were actually controlled by Vinod Adani
▪️ Global Opportunity Fund based in Bermuda had two men who held…
— Congress (@INCIndia) August 31, 2023
PM मोदी के परम मित्र अडानी के गड़बड़झाले पर एक और रिपोर्ट आई है।
रिपोर्ट के मुताबिक, अडानी ग्रुप ने गुपचुप तरीके से खुद के शेयर खरीदे और फिर स्टॉक एक्सचेंज में लाखों डॉलर का निवेश किया।
2014 की शुरुआत में SEBI को इस गड़बड़झाले की भनक लगी थी, लेकिन अडानी के दोस्त मोदी के PM…
— Congress (@INCIndia) August 31, 2023
साल 2014 में ऑस्ट्रेलिया के ब्रिसबेन में G20 शिखर सम्मेलन हुआ था।
वहां PM मोदी ने काले धन, मनी लॉन्ड्रिंग और शेल कंपनियों के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय सहयोग की बात कही थी।
अब नई दिल्ली में G20 सम्मेलन होने से पहले खुलासा हुआ है कि PM मोदी के चहेते दोस्त ने शेल कंपनियों का इस्तेमाल… pic.twitter.com/dq6clDoyF5
— Congress (@INCIndia) August 31, 2023
अडानी समूह ने सभी आरोपों को खारिज किया है
पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि अडानी समूह से जुड़े पूरे प्रकरण की सच्चाई संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के माध्यम से ही बाहर आ सकती है. बता दें कि ओसीसीआरपी ने अडाणी समूह पर निशाना साधते हुए गुरुवार को आरोप लगाया कि उसके प्रवर्तक परिवार के साझेदारों से जुड़ी विदेशी इकाइयों के जरिए अडानी समूह के शेयरों में करोड़ों डॉलर का निवेश किया गया. अडानी समूह ने इन सभी आरोपों को खारिज किया है.
प्रधानमंत्री के पसंसदीदा पूंजीपति ने शेल कंपनियों का इस्तेमाल किया
जॉर्ज सोरोस और रॉकफेलर ब्रदर्स फंड द्वारा वित्त पोषित संगठन ने ऐसे समय में आरोप लगाये हैं, जब कुछ महीने पहले अमेरिकी वित्तीय शोध एवं निवेश कंपनी हिंडनबर्ग ने अडाणी समूह पर बही-खातों में धोखाधड़ी तथा शेयरों के भाव में गड़बड़ी के साथ विदेशी इकाइयों के अनुचित उपयोग का आरोप लगाया था. इन आरोपों के बाद समूह के शेयरों में बड़ी गिरावट आयी थी. रमेश ने संवाददाताओं से कहा, प्रधानमंत्री के पसंसदीदा पूंजीपति ने शेल कंपनियों का इस्तेमाल किया है, सेबी के सारे नियमों का उल्लंघन हुआ है. इसका खुलासा अखबारों में हुआ है.
प्रधानमंत्री मोदी के शब्दों को याद करना उचित होगा
इससे पहले, रमेश ने एक्स (पूर्व का ट्विटर) पर पोस्ट किया, आज जब 2023 के जी20 शिखर सम्मेलन के लिए तैयारी हो रही है तब नवंबर 2014 के ब्रिस्बेन जी20 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी के शब्दों को याद करना उचित होगा. उस सम्मेलन में उन्होंने आर्थिक अपराधियों के लिए सुरक्षित पनाहगाहों को ख़त्म करने, मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल लोगों को ट्रैक करने और बिना शर्त प्रत्यर्पण करने के लिए देशों के बीच सहयोग का आह्वान किया था.
प्रधानमंत्री के शब्द कितने खोखले साबित हुए हैं
पीएम ने भ्रष्टों और उनकी हरकतों पर परदा डालने में सहायक अंतरराष्ट्रीय नियमों एवं जटिलताओं के जाल को तोड़ने की भी अपील की थी. आरोप लगाया, अडानी समूह और उसके करीबियों द्वारा भारतीय प्रतिभूति कानूनों का स्पष्ट रूप से उल्लंघन किये जाने से जुड़े खुलासे इस बात की याद दिलाते हैं कि प्रधानमंत्री के वे शब्द कितने खोखले साबित हुए हैं. ये ख़ुलासे इस बात की याद दिलाते हैं कि प्रधानमंत्री अपने भ्रष्ट मित्रों को बचाने के लिए किस हद तक और गहराई तक चले गये हैं. उन्होंने भारत की नियामक और जांच एजेंसियों को शक्तिहीन कर दिया है.
राष्ट्रहित से जुड़े सवालों पर प्रधानमंत्री लगातार चुप हैं
उन्हें गलत कामों की जांच करने के बजाय विपक्ष को डराने के लिए राजनीतिक टूल के रूप में बदल दिया गया है. कांग्रेस महासचिव ने कहा, ये खुलासे उन 100 से अधिक सवालों के भी जवाब देते हैं, जो कांग्रेस पार्टी ने हम अडानी के हैं कौन… श्रृंखला के तहत पूछे थे. वे सारे सवाल प्रधानमंत्री के अडानी के साथ उनके संदेहास्पद और संदिग्ध संबंधों के बारे में थे. राष्ट्रहित से जुड़े इन सवालों पर प्रधानमंत्री लगातार चुप हैं.
ओसीसीआरपी के दावे एक दशक पहले बंद हो चुके मामलों पर आधारित हैं
अडानी समूह ने एक बयान में ओसीसीआरपी की रिपोर्ट को बेवकूफ हिंडनबर्ग रिपोर्ट को पुनर्जीवित करने के लिए विदेशी मीडिया के एक वर्ग द्वारा समर्थित सोरोस-वित्त पोषित हितों का एक प्रयास करार दिया.बयान में कहा गया, ये दावे एक दशक पहले बंद हो चुके मामलों पर आधारित हैं जब राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) ने अधिक चालान, विदेश में धन हस्तांतरण, संबंधित पक्ष लेनदेन तथा एफपीआई के जरिए निवेश के आरोपों की जांच की थी.
एक स्वतंत्र निर्णायक प्राधिकारी और एक अपीलीय न्यायाधिकरण दोनों ने पुष्टि की थी कि कोई अधिक मूल्यांकन नहीं था और लेनदेन लागू कानून के तहत थे. समूह ने कहा, मार्च 2023 में मामले को अंतिम रूप दिया गया जब भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने हमारे पक्ष में फैसला सुनाया. धन के हस्तांतरण को लेकर इन आरोपों की कोई प्रासंगिकता या आधार नहीं है