Chandigarh : किसान आंदोलन के बीच हुए पंजाब के निकाय चुनावों में कांग्रेस ने जीत का परचम लहरा दिया है. लेकिन शिरोमणि अकाली दल की लुटिया गोल है. समाचार लिखे जाने तक कांग्रेस ने सभी आठ नगर निगमों में क्लीन स्विप कर लिया है. आम आदमी पार्टी ने भी बेहतर प्रदर्शन किया है. वह दूसरे नंबर की दावेदारी ठोक रही है, चुनाव में किसान आंदोलन का जबर्दस्त असर दिख रहा है. बीजेपी भारी नुकसान में है. पार्टी कांग्रेस और आप के बाद तीसरे नंबर पर पहुंच गयी है.
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कांग्रेस भटिंडा, मोगा, होशियारपुर, पठानकोट नगर निगमों पर जीती
कांग्रेस भटिंडा, मोगा, होशियारपुर और पठानकोट नगर निगमों पर जीत चुकी है . तीन निगमों बाटला, कपूथला और अबोहर पर उसे बढ़त हासिल है. इस चुनाव की दूसरी बड़ी विजेता आम आदमी पार्टी रही है जिसने दिल्ली से बाहर के निकाय चुनावों में किस्मत आजमाना शुरू किया है. नतीजों पर नजर डालें, तो निकाय चुनावों में आप का पदार्पण पंजाब में पार्टी को और मजबूत करने वाला है।
समाचार लिखे जाने तक होशियापुर नगर निगम की 50 सीटों में कांग्रेस ने 41 बीजेपी ने चार, आप ने दो और अन्य पार्टियों ने तीन सीटें जीती हैं. खन्ना नगर निगम में कांग्रेस ने 18 वॉर्डों जबकि आप ने दो वार्डों पर जीत हासिल की है। वहीं बीजेपी के खाते में एक वार्ड आया है. मोगा नगर निगम में कांग्रेस 20, अकाली दल 15, आप 4, निर्दलीय 10 जबकि बीजेपी ने 1 वार्ड पर कब्जा जमाया है.
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109 नगर परिषदों और पंचायतों के लिए हुई थी वोटिंग
पंजाब के आठ निगमों के 109 नगर परिषदों और नगर पंचायतों में चुनाव के लिए रविवार को वोट डाले गये थे. इस वोटिंग में 71.30 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था. पिछली बार 2015 में जब 122 नगर परिषदों और नगर पंचायतों के चुनाव हुए थे तब 78.60 प्रतिशत मतदान हुआ था. यानी, 2015 के मुकाबले 2021 में 7.21 प्रतिशत कम वोटिंग हुई.
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शिरोमणि अकाली दल को बड़ा झटका
अकाली दल को हुए नुकसान का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 2015 में अकेले शिरोमणि अकाली दल ने 34 नगर परिषदों और नगर पंचायतों में अपना अध्यक्ष बनवाया था. उस वक्त अकाली दल का बीजेपी के साथ गठबंधन भी था और तब दोनों दलों ने मिलकर 27 नगर परिषदों और नगर पंचायतों में संयुक्त रूप से अध्यक्ष बनाये थे. अकेले बीजेपी को आठ नगर परिषदों में जबकि कांग्रेस को पांच में अपना अध्यक्ष बनाने में सफलता मिली थी.
कैप्टन अमरिंदर सिंह की अगुआई में मिली जीत
आज के नतीजे को राज्य में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की अगुआई की जीत माना जा सकती है. हालांकि, कुछ राजनीतिक पंडित इसे कृषि कानूनों के खिलाफ केंद्र की बीजेपी सरकार के खिलाफ नाराजगी के तौर पर देख रहे हैं. अकाली दल ने कृषि कानूनों के विरोध में केंद्र की एनडीए सरकार और बाद में गठबंधन से भी नाता तोड़ लिया था. उसे बीजेपी के साथ रहने में नुकसान होने का डर था, लेकिन अकाली दल को भाजपा से अलग होने का भी कोई फायदा नहीं मिला.