NewDelhi : सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की संवैधानिक बेंच 18 अप्रैल को समलैंगिक विवाह (same sex marriage) को मान्यता देने के लिए दायर की गयी याचिका पर सुनवाई करेगी. प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ ने कहा कि यह मुद्दा एक ओर संवैधानिक अधिकारों और दूसरी ओर विशेष विवाह अधिनियम सहित विशेष विधायी अधिनियमों का एक-दूसरे पर प्रभाव है.
सुनवाई का सीधा प्रसारण (लाइव-स्ट्रीम) किया जायेगा
पीठ ने कहा, ‘हमारी राय है कि यदि उठाये गये मुद्दों को संविधान के अनुच्छेद 145 (3) के संबंध में पांच न्यायाधीशों की पीठ द्वारा हल किया जाता है तो यह उचित होगा. हम मामले को पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के समक्ष भेजने का निर्देश देते हैं. उच्चतम न्यायालय ने मामले को 18 अप्रैल को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया और कहा कि पांच न्यायाधीशों की पीठ के समक्ष सुनवाई का सीधा प्रसारण (लाइव-स्ट्रीम) किया जायेगा.
इससे पहले आज सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका पर सुनवाई किये जाने के दौरान याचिकाकर्ताओं ने केंद्र के हलफनामे पर जवाब देने के लिए समय मांगा. बता दें कि रविवार को केंद्र सरकार ने इस मामले में हलफनामा दायर कर याचिका को विरोध किया था.
#UPDATE | Same-sex marriage matter: Supreme Court lists the matter on April 18 for further hearing https://t.co/KxKYtYEcvM
— ANI (@ANI) March 13, 2023
SG Mehta says the moment marriage as a recognized institution comes between same sex, question will come on adoption and therefore Parliament will have to see the issue of psychology of child, which has to be examined whether it can be raised in such a way.
— ANI (@ANI) March 13, 2023
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यह सामाजिक नैतिकता और भारतीय लोकाचार के अनुरूप नहीं
आज इस मुद्दे पर सुनवाई के क्रम में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने पूछा कि इस मामले पर केंद्र का क्या कहना है? जवाब में याचिकाओं का विरोध करते हुए केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने SC से कहा कि यह सामाजिक नैतिकता और भारतीय लोकाचार के अनुरूप नहीं है.
तुषार मेहता ने कहा, हमने हलफनामे में कहा है कि भारतीय वैधानिक और व्यक्तिगत कानून शासन में विवाह की विधान संबंधी समझ केवल एक जैविक पुरुष और जैविक महिला के बीच विवाह को संदर्भित करती है. इसमें कोई भी हस्तक्षेप व्यक्तिगत कानूनों और स्वीकृत सामाजिक मूल्यों के नाजुक संतुलन का विनाश होगा. सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से जुड़ी याचिकाओं को संविधान पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया
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समलैंगिक विवाह की याचिका पर किरेन रिजिजू ने कहा
सुप्रीम कोर्ट में समलैंगिक विवाह की याचिका पर केंद्र सरकार के विरोध पर केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि सरकार किसी की निजी जिंदगी में दखल नहीं दे रही है. सरकार ने कभी भी नागरिकों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता को नियंत्रित नहीं किया है. जब विवाह संस्था की बात आती है तो यह नीति का मामला है. एक स्पष्ट अंतर है.