Lagatar Desk: शराब और शराब नीति को लेकर झारखंड की राजनीति में एक नई हलचल पैदा हो गई है. विपक्ष के नेता बाबूलाल मरांडी ने राज्य के मुख्य सचिव को एक पत्र लिखा है. उनके पत्र से उत्पाद विभाग व सवाल खड़ा होता है. साथ ही यह भी पता चलता है कि कहीं अदालत को भी तो गुमराह नहीं किया गया.
बाबूलाल मरांडी के पत्र में दो बैंक गारंटियों का जिक्र करते हुए गंभीर आरोप लगाए गए हैं. पहली पंजाब एंड सिंध बैंक की और दूसरी बंधन बैंक की. दोनों बैंकों ने मैन पावर सप्लाई करने वाले अलग-अलग कंपनियों को बैंक गारंटी दी थी.
जानकारी के अनुसार, पंजाब एंड सिंध बैंक द्वारा दी गई बैंक गारंटी भले ही असली थी, परंतु शर्तों के पालन न होने के कारण बैंक ने उसे वापस ले लिया और इसकी सूचना उत्पाद विभाग को भेज दी थी. लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि यह पत्र उत्पाद विभाग तक कभी पहुंचा ही नहीं. इसके बाद जब बैंक गारंटी को भुनाने की प्रक्रिया शुरू हुई, तब बैंक द्वारा कोई जवाब नहीं दिया गया.
वहीं दूसरी बाबूलाल मरांडी ने अपने पत्र में बंधन बैंक के एक पत्र की कॉपी अटैच किया है. जिसके मुताबिक, बंधन बैंक ने स्पष्ट रूप से कहा है कि उनके नाम से जो बैंक गारंटी दिखाई जा रही है, वह फर्जी है. बैंक के पास इस गारंटी का कोई रिकॉर्ड नहीं है. इस मामले को और अधिक जटिल बना देती है, यह सवाल खड़ा करता है कि क्या कंपनियों ने अदालत को भी गुमराह किया.
उल्लेखनीय है कि झारखंड हाईकोर्ट ने बैंक गारंटी को भुनाने पर रोक लगा है. जबकि तथ्य यह है कि बैंक गारंटी ही फर्जी है. यह मामला सिर्फ एक विभागीय अनियमितता का नहीं, बल्कि प्रशासनिक पारदर्शिता, राजनीतिक जिम्मेदारी और अदालत को गुमराह करने का भी है. यह देखना दिलचस्प होगा कि अब उत्पाद विभाग, बैंकिंग तंत्र और न्यायालय इस पर क्या रुख अपनाते हैं.
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