Chaibasa : टोंटो थाना क्षेत्र के दुरूला गांव में हो समुदाय के लोगों ने ईसाई परिवार में मृत्यु हुए शव को अपना ससन दिरी (कब्रिस्तान) में दफनाने नहीं दिया. इस मामले को लेकर हो और ईसाई समुदाय के बीच जमकर बकझक हुई. यह मामला शनिवार देर रात से चल रहा था. रविवार देर रात जाकर ईसाई परिवार को उसके घर के बाहर ही शव को दफनाए जाने पर सहमति बनी. 40 घंटे बाद मृतक के शव को दफनाया जा सका. एक तरफ मृतक का शव पड़ा था, तो दूसरी तरफ सामाजिक न्याय का मंच बैठा हुआ था.
सुबह चुपके से ससन दिरी में दफना रहे थे शव, ग्रामीण मुंडा की अगुवाई में जुटे ग्रामीण
हो समाज की रीति-रिवाज के अनुसार शव को दफनाने नहीं देने के लिए ग्रामीण मुंडा लंडा बोयपाई की अगुवाई में ग्रामीण जुटे. जैसे ही रविवार सुबह हो समुदाय की वंशजानुसार ससन दिरी (कब्रिस्तान) में धर्मांतरण परिवार ने शव को दफनाने के लिये खुदाई शुरू की, इसकी जानकारी गांव में फैलने लगी. सुबह लगभग आठ बजे के आस-पास ग्रामीण मुंडा को गांव वालों ने इस घटना की जानकारी दी. इस बीच ग्रामीणों ने आदिवासी हो समाज युवा महासभा के पदाधिकारियों को भी इस घटना के बारे में जानकारी दी. सामाजिक सहयोग करने के लिए अपील की. ग्रामीण मुंडा से समन्वय बनाकर दोपहर 12 बजे गांव में बैठक करने के लिए सहमति बनी. आदिवासी हो समाज युवा महासभा के पदाधिकारीगण भी बैठक में शामिल हुए और ससन दिरी स्थल पर गये. ग्रामीणों के विरोधी स्वर को शांत किया. भरी सभा में हो समुदाय के ससन दिरी (कब्रिस्तान) स्थल में शव को नहीं दफनाने देने का फैसला लिया गया. ईसाई परिवार द्वारा हो समुदाय के मृत्यु संस्कार व रीति-रिवाज के अनुसार दफनाने का कड़ा विरोध जताया गया. इसको लेकर ईसाई परिवार वालों को सख्त चेतावनी दी गई.
गांव में 11 परिवारों के धर्म परिवर्तन कर लेने के बाद कई बार हो चुकी है पंचायती
इस गांव में लगभग ग्यारह परिवार का धर्मांतरण हुआ है, धार्मिक मुद्दा को लेकर कई दौर पंचायती हुई है. इसमें कुछ धर्मांतरण परिवार का सामाजिक बहिष्कार भी किया गया है. जिसका मामला थाना तक जा पहुंचा और थाना प्रभारी ने दोनों पक्ष को समझा-बुझाकर गांव में शांति-व्यवस्था के साथ रहने की सलाह दी. लेकिन धर्मांतरित परिवार से लगभग 25 वर्षीय अमृत लाल बोयपाई पिता कृष्णा बोयपाई की शनिवार रात को किसी बीमारी से मृत्यु हो गई. हो समुदाय की वंशागत ससन दिरी स्थल पर रविवार को सुबह चुपचाप शव दफनाने के लिए हो समाज की रीति-रिवाज के अनुसार गड्ढा की खोदाई की जा रही थी. जिससे यह मुद्दा गांव में गरमाया और शव दफनाने को लेकर पंचायती करने में दिन भर समय बीत गया.
शुरू में ईसाई परिवार आंगन में दफनाने को तैयार नहीं था शव, थाना प्रभारी के दबाव के बाद माने
गांव में शव पड़े रहना अच्छी बात नहीं है. इसलिये युवा महासभा के लोगों द्वारा ग्रामीणों को समझा-बुझाकर ईसाई परिवार के आंगन में ही ईसाई रीति-रिवाज के साथ दफनाने के लिये धीरे-धीरे सहमति बनाई गई. लेकिन उनके सरना धर्म मानने वाले वंशजों ने इस पर भी कड़ी आपत्ति जतायी. चूंकि जमीन का बंटवारा नहीं हुआ है. एक बार दफना देगा तो आनेवाला दिन में दफनाते रहेगा. साथ ही धार्मिक रूप से हो समुदाय की रीति-रिवाज और संस्कृति पर दुल सुनूम जैसे पारंपरिक कार्यक्रमों के अनुपालन में बुरा प्रभाव पड़ने का ग्रामीणों ने जमकर विरोध किया. जबकि ईसाई परिवार अपने घर से दो-तीन सौ फीट दूर में दफनाने के लिये जिद लगा रहे थे. इसको लेकर फिर दोनों पक्ष में काफी वाद-विवाद और शोर गुल होने लगा. इस बीच आदिवासी हो समाज युवा महासभा के पदाधिकारियों ने दोनों पक्ष को समझाने और शांत करने का प्रयास किया. लेकिन मामला बढ़ता जा रहा था. अंततः युवा महासभा के पदाधिकारियों ने इस घटना की जानकारी टोंटो थाना प्रभारी सागेन मुर्मू को दे दी. कुछ समय बाद दल-बल के साथ थाना प्रभारी पहुंचे और ग्रामीणों से पूरे घटनाक्रम की जानकारी ली और ईसाई परिवार द्वारा चुपचाप खोदे जा रहे हो समुदाय के ससन दिरी (कब्रिस्तान) स्थल को ग्रामीणों ने दिखाया. ग्रामीण एकमत होकर थाना प्रभारी और टीम को ईसाई परिवार के शव स्थल की ओर ले गये. वहां ईसाई परिवार वालों को बुलाया गया. थाना प्रभारी ने दोनों पक्ष को समझाया और मध्यस्थता करते हुए सामूहिक जगह को छोड़कर ईसाई परिवार को अपने आंगन में शव को दफनाने के लिए दोनों पक्ष की सहमति से गड्ढा खोदाई कराया गया. देर शाम और भारी वर्षा के बीच शव दफनाने की प्रक्रिया शुरू कराई गई तथा दोनों पक्ष और ग्रामीणों को किसी तरह का झगड़ा न करने की चेतावनी दी गई.
थाना प्रभारी ने बाहर से आये धर्म प्रचारकों को दी कड़ी चेतावनी
ग्रामीणों ने बाहर के लोगों द्वारा गांव में लोगों को भड़काने, प्रलोभन देकर धर्मांतरण कराने और पुलिस-प्रशासन का भय दिखाने को लेकर थाना प्रभारी से शिकायत की. थाना प्रभारी ने ग्रामीणों के तेवर को शांत कराते हुये बाहर से आकर गांव वालों को न भड़काने और गांव की शांति-व्यवस्था को न बिगाड़ने के लिये धर्म प्रचारकों को कड़ी चेतावनी दी अन्यथा कड़ी कानूनी कार्रवाई करने की भी चेतावनी दी.
ये लोग थे मौजूद: ग्रामीण मुंडा लंडा बोयपाई, सहायक मुंडा लक्ष्मण बोयपाई, सामाजिक कार्यकर्ता गोविंद कोंडांगकेल, सालुका हेस्सा, विनोद बोयपाई, सुरेन्द्र कुंकल, दिनेश तामसोय, बागुन हेस्सा, भेंगरा कोंडांगकेल, सोंगा तामसोय, लक्ष्मण बोयपाई, भैगा कोंडांगकेल, वारलेस बोयपाई सहित आदिवासी हो समाज युवा महासभा केन्द्रीय महासचिव इपिल सामड, जिलाध्यक्ष गब्बरसिंह हेम्ब्रम, जिला क्रीड़ा सचिव जगन्नाथ हेस्सा, सदस्य सुशील सवैंया एवं काफी संख्या में ग्रामीण मौजूद थे.