Ranchi: झारखंड स्टेट बार काउंसिल के निर्देश के तहत अगले एक सप्ताह यानी 2 मई तक झारखण्ड का कोई भी अधिवक्ता किसी भी न्यायिक कार्य में हिस्सा नहीं ले सकता है. अगर कोई वकील इस निर्देश को नहीं मानने की गुस्ताखी करता है तो काउंसिल उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगा. पिछले सप्ताह भी इसी तरह के निर्देश पूरे राज्य के अधिवक्ताओं के लिए जारी किया गया था. जिसका लगभग सभी वकीलों ने पालन किया. लेकिन अब शायद वकीलों के सब्र का बांध टूट सकता है.
1 साल से न्यायिक प्रक्रिया ऑनलाइन चल रही है
पिछले लगभग एक वर्ष से ज्यादा समय से झारखंड में न्यायिक प्रक्रिया ऑनलाइन व्यवस्था से चल रही है. जिसका असर झारखंड हाईकोर्ट समेत पूरे राज्य के वकीलों और एडवोकेट क्लर्क की जेब पर पड़ा है. सभी जिला अदालतों मे वैसे वकीलों की संख्या ज्यादा हैं जो मिस्लीनियस वर्क के माध्यम से जीविकोपार्जन करते हैं. लेकिन पिछले कुछ समय से उनके काम काज की रफ्तार काफी सुस्त पड़ी हुई है.
परिवार चलाने में आ रही परेशानी
काउंसिल ने कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए वकीलों के हित में यह निर्णय लिया है कि अधिवक्ता खुद को न्यायिक कार्यों से दूर रखें. ताकि उनमें संक्रमण की संभावना कम हो जाये. लेकिन अब तक वकीलों की आर्थिक सहायता के लिए सिर्फ पत्राचार ही किया जा सका है. राज्य भर में गिनती के ही ऐसे वकील होंगे जिन्हें कोरोना काल के पहले फेज़ से लेकर अब तक काउंसिल से कोई आर्थिक मदद मिली हो. हमने कई वकीलों से बातचीत की. नाम प्रकाशित नहीं करने की शर्त पर उन्होंने बताया कि काउंसिल को वकीलों की जान की चिंता है ये अच्छी बात है लेकिन काउंसिल को ये भी सोचना चाहिए कि वकील की जिंदगी के साथ उसके परिवार की भी ज़िंदगी जुडी हुई है. और परिवार चलाने के लिए सबसे जरूरी चीज़ों में से एक पैसा है जो इस हालत में ज्यादातर वकील नहीं कमा पा रहे.