Ranchi : सोमवार यानी एक फरवरी को देशभर की नजरें वित्तi मंत्री निर्मला सीतारमण पर होंगी. वित्त मंत्री लोकसभा में वित्ती वर्ष 2021-22 का आम बजट पेश करेंगी. इसे 11 बजे पेश किया जाएगा. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का यह तीसरा बजट होगा. इस बजट में पहले ही कई परंपराएं टूट चुकी हैं. यह कई मायनों में ऐतिहासिक होगा. बजट के इतिहास में पहली बार है, जब यह पेपर पर नहीं छपेगा. कोरोना महामारी के मद्देनजर सरकार ने यह फैसला लिया है.
इसे भी पढ़ें – तांडव विवाद के बाद केंद्र की आंख खुली, OTT प्लेटफॉर्म और डिजिटल अखबार के लिए गाइडलाइंस होगी जारी
बजट से देश की जनता को उम्मीद
रिम्स में कार्यरत चिकित्सक डॉ अनीतेश गुप्ता ने कहा कि 1 फरवरी को पेश होने वाले आम बजट से देश की जनता को काफी उम्मीदें हैं. उन्होंने कहा कि केंद्र की सरकार स्वास्थ्य के क्षेत्र में बजट के दौरान कम ध्यान देती है. स्वास्थ्य के क्षेत्र में अधिक राशि के आवंटन की जरूरत है.
उन्होंने कहा कि मेडिकल कॉलेज की सुविधाओं को भी बढ़ाने की जरूरत है. झारखंड के 3 मेडिकल कॉलेजों में जमशेदपुर का एमजीएम और धनबाद के एसएनएमसीएच में पीजी की पढ़ाई नहीं हो रही है. वहीं तीन नए मेडिकल कॉलेज हजारीबाग, दुमका और पलामू की भी मान्यता रद्द होने के कगार पर हैं. ऐसे में स्वास्थ्य को लेकर बेहतर बजट बनाने की जरूरत है.
जनहित को देखते हुए पेश किया जाए आम बजट
खिजरी के विधायक राजेश कच्छप ने कहा कि सरकार किसी की भी हो, जनहित और जनमुद्दों को लेकर भविष्य को देखते हुए बजट बनायें. उन्होंने कहा कि सरकार के बजट में दूरदर्शिता होनी चाहिए.
ताकि आम-आवाम का विकास हो सके. केवल बड़ी राशि के आवंटन की जरूरत नहीं है, बल्कि जरूरत है कि इस राशि को कैसे खर्च किया जाए इसपर ध्यान देने की जरूरत है. धरातल प्लांड वे में बजट बनाने की जरूरत है.
इसे भी पढ़ें – रांची: रणेंद्र बने 11 लाख के श्रीलाल शुक्ल सम्मान पाने वाले झारखंड के पहले साहित्यकार
5% लोगों को ध्यान में रखकर पेश किया जाता है देश का बजट
वहीं राष्ट्रीय जनता दल की प्रवक्ता अनीता यादव ने कहा कि जब से भाजपा की सरकार आयी है. तब से देश की जनता के हित में बजट पेश नहीं किया जा रहा है. बजट मात्र 5% लोगों के हित को देखते हुए भाजपा की सरकार बजट पेश करती आयी हैं.
किसान महिलाओं और गरीबों के ध्यान में रखते हुए इन्हें बजट पेश करने की जरूरत है. कम कीमत पर कच्चे तेल को खरीद कर महंगे कीमत पर बेचा जा रहा है. और इससे हमारे देश के किसान के साथ आम आदमी भी प्रभावित हो रहे हैं.
19 साल में मात्र तीन नए मेडिकल कॉलेज झारखंड को मिला
वहीं सदर अस्पताल में कार्यरत चिकित्सक डॉ अजीत कुमार ने कहा कि झारखंड एक पिछड़ा राज्य है. 19 सालों में यहां पर मात्र 3 नए मेडिकल कॉलेज खोले गए हैं. उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार हर 2 जिले पर एक मेडिकल कॉलेज की शुरुआत करें. ताकि अधिक से अधिक संख्या में नए चिकित्सक बनकर समाज की बेहतर सेवा कर सकें.
इसे भी पढ़ें – रिम्स फुटपाथ दुकानदारों ने नगर निगम से लगायी गुहार, दुकान लगाने की मांगी अनुमति