New Delhi : दिल्ली की एक कोर्ट ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और पत्रकार एमजे अकबर द्वारा दायर मानहानि मामले से पत्रकार प्रिया रमानी को बरी कर दिया है. अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद एक फरवरी को फैसला सुरक्षित रख लिया था. प्रिया रमानी ने अकबर के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप लगाये थे. एमजे अकबर ने रमानी के खिलाफ इस दलील से साथ आपराधिक मानहानि का केस किया था कि प्रिया रमानी के Me Too कैंपेन के दौरान किये ट्वीट से उनकी मानहानि हुई है.
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कोर्ट ने कहा- महिला को सालों बाद भी शिकायत का हक
प्रिया रमानी को बरी करते हुए अदालत ने अपने आदेश में टिप्पणी की कि – “एक महिला को सालों बाद भी अपनी सही शिकायत रखने का अधिकार है. एक ऐसा शख्स जिसकी सामाजिक प्रतिष्ठा अच्छी हो, वह यौन उत्पीड़न करने वाला भी हो सकता है. इससे सामाजिक प्रतिष्ठा और मनोबल भी गिरता है. मर्यादा के अधिकार की कीमत पर छवि के अधिकार को नहीं सुरक्षित किया जा सकता.”
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जानें क्या है पूरा मामला
- साल 2018 में Me Too कैंपेन के तहत प्रिया रमानी ने अकबर पर यौन दुर्व्यवहार के आरोप लगाये थे. 15 अक्टूबर, 2018 को अकबर ने रमानी के खिलाफ उन्हें बदनाम करने के आरोप में शिकायत दर्ज करायी थी. अकबर ने 17 अक्टूबर, 2018 को केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था.
- वर्ष 2017 में रमानी ने वोग पत्रिका के लिए एक लेख लिखा. उन्होंने नौकरी के साक्षात्कार के दौरान पूर्व बॉस द्वारा यौन उत्पीड़न किये जाने के बारे में बताया. एक साल बाद उन्होंने इस बात से परदा हटाया किया कि लेख में उत्पीड़न करने वाले व्यक्ति एमजे अकबर थे.
- अकबर ने कोर्ट में प्रिया रमानी के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया था. उन्होंने बताया कि रमानी के आरोप काल्पनिक थे और इससे उनकी प्रतिष्ठा और छवि को नुकसान पहुंचा है. दूसरी ओर प्रिया रमानी ने कहा कि विश्वास, सार्वजनिक हित और सार्वजनिक भलाई के लिए वह इन बातों को सबके सामने लायीं.
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