Lagatar Desk : अमेरिकी सरकार और कंपनियां कोविड -19 की दूसरी लहर से लड़ने में भारत की मदद के लिए एकजुट हो गयी हैं. मानवीय कारणों के अलावा अमेरिका को यह डर भी सता रहा है कि यदि भारत में कोरोना की लहर को नियंत्रित नहीं किया गया, तो मई के अंत तक यह कई देशों के साथ-साथ वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए भी खतरा पैदा देगी. बताया जाता है कि ऐसी सूचना है कि भारत का प्रधानमंत्री कार्यालय अमेरिकी सहायता के प्रयासों का समन्वय करने का इच्छुक है, लेकिन अमेरिका केंद्रीकरण से बचना चाहता है. वह देश भर के संस्थानों को इससे जोड़ना चाहता है. अमेरिका का मानना है कि इससे सहायता दिल्ली में ही अटक जायेगी और राज्यों को जल्द मदद मिलने में दिक्कत आयेगी.
अमेरिकी सरकार और कंपनियां भारत की मदद को एकजुट हुईं
अमेरिका खुले दिल से भारत की मदद कर रहा है. अमेरिका यह संदेश देना चाहता है कि वह पैसे और संसाधन के साथ इस अविश्वसनीय संकट के दौरान भारत की मदद करने का दिल भी रखता है. भारत-यूएस बिजनेस काउंसिल ग्लोबल बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के अध्यक्ष विजय आडवाणी कहते हैं- मैंने पहले कभी भी इस तरह का सार्वजनिक-निजी तालमेल नहीं देखा है. अमेरिकी सरकार की ताकत, काबिलियत और वित्तीय संसाधन अब पूरी तरह से भारत के लिए खुले हुए हैं.
अमेरिकी विदेश मंत्री ने 135 सीईओ से चर्चा की
सोमवार की सुबह अमेरिकी राष्ट्रपति जोसेफ बाइडेन के पीएम नरेंद्र मोदी के साथ फोन पर बात करने के बाद अमेरिकी सरकार और वहां के उद्योगों ने भारत को मदद पहुंचाने के तरीकों पर चर्चा की. अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने 135 अमेरिकी सीईओ, व्यापार मंडल और अन्य हितधारकों के साथ जूम कॉल किया.
अमेरिकी सेना, विदेश विभाग और अमेजन कर रहे समन्वय
विजय आडवाणी, जो इस जूम कॉल में शामिल थे, ने कहा, “अमेरिकी सेना और अमेरिकी विदेश विभाग मिलकर भारत के लिए दवाओं, सहायता और उपकरणों का समन्वय कर रहे हैं. – यूपीएस और यूनाइटेड/डेल्टा एयरलाइंस के विमान भारत में उपकरण पहुंचाने के लिए पहले से ही स्वेच्छा से उड़ान भर चुके हैं. अमेजन कंपनी वेंटिलेटर वितरण के काम का समन्वय कर रही है. इस काम को अमेरिकी सरकार का पूरा समर्थन हासिल है.”
पीएमओ समन्वय करना चाहता है पर अमेरिका केंद्रीकरण नहीं चाहता
भारत का प्रधानमंत्री कार्यालय इन सभी प्रयासों का समन्वय करने के लिए उत्सुक बताया जाता है है. लेकिन अमेरिका इस काम में देश भर के विभिन्न संस्थानों को संलग्न करना चाहता है. अमेरिका का मानना है कि इससे सहायता दिल्ली में ही अटक जायेगी और राज्यों को जल्द से जल्द नहीं मिलेगी. “गूगल, आईबीएम, जेपी मोर्गन, फेडएक्स, वॉलमार्ट, कोक, जॉनसन एंड जॉनसन, फाइजर सभी जानते हैं कि स्वास्थ्य और आर्थिक दोनों कारणों से भारत का असर पूरी दुनिया पर पड़ेगा.”
सैन्य मोबाइल अस्पताल, टीके और कच्चा माल भारत रवाना
अमेरिका भारत के मरीजों को आईसीयू सुविधा देने के लिए कई सैन्य मोबाइल अस्पताल भेज रहा है. हालांकि अमेरिकी नौकरशाही को इसकी तैयारी में थोड़ा समय लगा, लेकिन अमेरिका अब एस्ट्राज़ेनेका के अपने टीकों के स्टॉक के साथ-साथ टीके बनाने में काम आनेवाला कच्चे माल भारत भेज रहा है. आडवाणी ने कहा कि अमेरिका अपने वार फील्ड अस्पतालों से ऑक्सीजन उपकरणों का अतिरिक्त स्टॉक भारत भेज रहा है. कई फर्मों ने भारत में अपने खाली पड़े कार्यालयों का इस्तेमाल वैक्सीन केंद्रों के रूप में करने की पेशकश की है. उन्होंने कहा कि गूगल भारत को कोविड की निगरानी करने में मदद कर रहा है. विमानन कंपनी लॉकहीड मार्टिन भारत के छोटे शहरों में उपकरण ले जाने के लिए हेलीकॉप्टर और कार्गो उड़ानें भेज रहा है.