Ranchi : भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की राज्य कमिटी ने राजमहल सीट पर अपना प्रत्याशी देने का फैसला लिया है. पार्टी ने गोपीन सोरेन को उम्मीदवार बनाया है. गोपीन नौ मई को पर्चा दाखिल करेंगे. पार्टी के राज्य सचिव प्रकाश विपल्व ने बताया कि राज्य की राजनीतिक परिस्थिति को देखते हुए सीपीआई (एम) ने केवल एक सीट पर ही चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है. राजमहल लोकसभा सीट पर पार्टी के चुनाव अभियान की तैयारी बहुत पहले से ही चल रही है. पार्टी का इस इलाके में अपना जनाधार भी है. पिछले दो वर्षों से यहां के ज्वलंत जनमुद्दों पर पार्टी द्वारा लगातार आंदोलन चलाया जा रहा है. वहीं इस सीट से झामुमो से विजय हांसदा और बीजेपी से ताला मरांडी उम्मीदवार हैं.
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13 सीटों पर इंडिया गठबंधन के उम्मीदवारों को समर्थन
राज्य सचिव प्रकाश विपल्व ने बताया कि इंडिया गठबंधन के एक प्रमुख घटक होने के नाते और राजनीतिक जिम्मेवारी को समझते हुए राज्य की 14 लोकसभा सीटों में से एक राजमहल सीट के अलावा अन्य 13 संसदीय सीटों पर इंडिया गठबंधन के उम्मीदवारों को समर्थन दिए जाने का जल्द ही एलान किया जाएगा. 18 वीं लोकसभा का चुनाव अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि देश की राजनीति जिस चौराहे पर खड़ी है. इस चुनाव का नतीजा उसकी दिशा तय करेगा. इस चुनाव में हमारे संविधान का धर्मनिरपेक्ष चरित्र, जनवाद और देश का संघीय ढांचा सभी कुछ दाव पर लगा हुआ है. पिछले 10 सालों से केंद्र में जिस पार्टी की सरकार है, उसने केवल जनता को बांटने और हमारे देश के लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर करने के साथ-साथ देश की राष्ट्रीय संपत्ति की लूट में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है.
शीट शेयरिंग पर किसी ने चर्चा नहीं की
प्रकाश विपल्व ने कहा कि राजमहल के सांसद की निष्क्रियता और इस लोकसभा क्षेत्र के ज्वलंत समस्याओं के प्रति उनकी उदासीनता के चलते मतदाताओं में भारी आक्रोश है. संताल परगना में कॉर्पोरेट घरानों द्वारा यहां उपलब्ध खनिज की लूट के लिए आदिवासियों और अन्य गरीबों की जमीन हथियाने के खिलाफ पार्टी ने उम्मीदवार उतारने का फैसला लिया है. यहां के आम मतदाताओं का कहना है कि यह प्रत्याशी भाजपा को हराने में सक्षम नहीं है. वहीं इंडिया गठबंधन में शामिल दलों ने शीट शेयरिंग पर कभी चर्चा नहीं की. इंडिया गठबंधन में शामिल राजनीतिक दलों के बीच सीट शेयरिंग आंशिक रूप से ही हुआ है. झारखंड में वामदलों के प्रति गठबंधन की उदासीनता और उनके साथ राजनीतिक संवाद नहीं किया जाना गठबंधन के नेतृत्व की कमजोरी है, जिसके जिम्मेवार वामदल नहीं हैं.
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