Ranchi : पुलिस कार्रवाई की वजह से भी PLFI और TPC उग्रवादी संगठन बैकफुट पर चले गए है. इन दोनों उग्रवादी संगठनों के कमजोर होने का फायदा भाकपा माओवादी उठाकर अपनी सक्रियता बढ़ाने में जुटा है. जिन क्षेत्रों में पीएलएफआई और टीपीसी की सक्रियता के वजह से भाकपा माओवादी सक्रियता कम हो गई थी. अब उन क्षेत्रों में भाकपा माओवादी अपनी सक्रियता बढ़ाने की कोशिश में जुटा हुआ है.
जिस वजह से माओवादी की गतिविधि बढ़ गई है. और पुलिस से माओवादियों का आमना सामना हो रहा है. पिछले एक महीने के दौरान राज्य में पुलिस और नक्सली संगठनों के बीच मुठभेड़ और नक्सली हमले की 10 घटनाएं हुई है. जिनमें सबसे अधिक आठ मुठभेड़ और हमले के पीछे भाकपा माओवादी शामिल थे.
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सूचना तंत्र मजबूत करने में जुटा है भाकपा माओवादी
भाकपा माओवादी अपना सूचना तंत्र को मजबूत करने के लिए पुलिस के मुखबिर कि हत्या कर रहे है. बताया जा रहा है कि भाकपा माओवादी अपने मुखबिरों की संख्या बढ़ाने में लगे हुए हैं. जिससे लेवी वसूली की जानकारी ज्यादा से ज्यादा हासिल हो सके. पुलिस सहित अन्य की गतिविधियों पर नजर रखी जा सके. नक्सली संगठन पुलिस बल को मिलने वाले लोकल इनपुट को ब्रेक करने में जुट गए हैं, ताकि पुलिस तक सूचना न पहुंचे.
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झारखंड में छत्तीसगढ़ के माओवादियों की सक्रियता बढ़ी है
झारखंड में छत्तीसगढ़ के माओवादियों की सक्रियता बढ़ी है. चाईबासा और गढ़वा के बूढ़ा पहाड़ इलाके में छत्तीसगढ़ के माओवादियों की सक्रियता बढ़ी है. लातेहार और छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले के सीमावर्ती इलाकों में भी माओवादियों की सक्रियता पुलिस के लिए चुनौती बनी है. चाईबासा पुलिस ने हाल ही में छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के जयमन अरकी नाम के माओवादी को गिरफ्तार किया था. जयमन ने स्वीकार किया था कि वह छत्तीसगढ़ के भाकपा माओवादी दस्ते का सदस्य है.
छत्तीसगढ़ के भाकपा माओवादियों की सक्रियता के बाद गुरिल्ला वार और तकनीक में बदलाव किया जा रहा है. माओवादी संगठन के पास हथियार और गोलियों की कमी है. ऐसे में माओवादी अब सुरक्षाबलों से सीधा मुठभेड़ करने से बचते हैं. माओवादियों की रणनीति अब पुलिस के लूज मूवमेंट को पकड़ कर हमला करने की है.
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पुलिस की कार्रवाई से टीपीसी और पीएलएफआई बैकफुट पर
झारखंड पुलिस के द्वारा किए गए कार्रवाई से टीपीसी और पीएलएफआई उग्रवादी संगठन बैकफुट पर है. हाल के महीनों में पुलिस ने जहां पीएलएफआई के कई बड़े उग्रवादियों को मार गिराया और गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. वहीं टीपीसी के कई बड़े उग्रवादियों ने पुलिस की दबिश से परेशान होकर सरेंडर कर और कई बड़े उग्रवादी गिरफ्तार कर जेल भेजे गए है.
जिस वजह से टीपीसी और पीएलएफआई संगठन बैकफुट पर है. इसके अलावा दोनों संगठन अपना अस्तित्व बचाने में लगा हुआ है.
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