Saurabh Shukla
Ranchi : झारखंड का स्वास्थ्य खराब हो गया है. क्योंकि स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी इन दिनों आंदोलन, हड़ताल और कार्य बहिष्कार पर हैं. सूबे के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता खुद को विभाग का सहकर्मी बताते हैं. लेकिन पिछले 14 दिनों से राजभवन के समक्ष अनुबंधित पारा चिकित्सा कर्मी संघ और झारखंड राज्य एनआरएचएम एएनएम-जीएनएम अनुबंध कर्मचारी संघ के बैनर तले चल रहे आंदोलन में स्वास्थ्य मंत्री ने झांकना भी मुनासिब नहीं समझा. और ना ही उनके विभाग के किसी अधिकारी को ही इसकी चिंता है. आमरण अनशन का आज सातवां दिन है और लगातार स्वास्थ्य विभाग के इन कर्मचारियों की स्थिति खराब होती जा रही है. जबकि बीते 7 दिनों से राज्यभर की 42 हजार सहिया और 2 हजार कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर(सीएचओ) भी आंदोलन कर रहे हैं. ऐसे में राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था अब चरमराने लगी है.
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मानदेय में बढ़ोतरी के साथ स्थायी करें सरकार- माया सिंह
वहीं झारखंड प्रदेश स्वास्थ्य सहिया संघ के बैनर तले राज्य भर की 42 हजार सहियाओं का आंदोलन 23 जनवरी से चल रहा है. संघ की सचिव माया सिंह ने कहा कि बढ़ती महंगाई में मात्र 2 हजार प्रोत्साहन राशि दी जाती है और इतने ही पैसों में पिछले 16 सालों से काम कर रहे हैं. प्रोत्साहन राशि की जगह फिक्स मानदेय 18 हजार रूपया किया जाए. साथ ही सहियाओं को राज्यकर्मी का भी दर्जा दिया जाए. वहीं एक ठोस नियमावली विधानसभा से पारित कर बनाया जाए. माया ने कहा कि साल में 10 हजार रुपया स्वास्थ्य समिति के फंड के रूप में मिलता है. इसे बढ़ाकर 25 हजार रुपया करने की मांग हम सभी लोग संघ के माध्यम से कर रहे हैं.
राज्यभर के 2 हजार सीएचओ ने शुरू किया आंदोलन
राज्यभर के 2 हजार कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर(सीएचओ) झारखंड कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर एसोसिएशन के बैनर तले 10 सूत्री मांग को लेकर आंदलोन शुरु कर दिया है. 27 जनवरी को एनएचएम के अभियान निदेशक कार्यालय का घेराव किया था. वार्ता विफल रही. जिसके बाद सभी सीएचओ ने 28 जनवरी को काला बिल्ला लगाकर काम किया. और 30 जनवरी(सोमवार) से ऑनलाइन एंट्री(ई-संजीवनी, डेली रिपोर्टिंग,एनसीडी) का काम ठप कर दिया है.
5 फरवरी को राज्यभर के एमपीडब्ल्यू कर्मी रांची में जुटेंगे
वहीं झारखंड एमपीडब्ल्यू कर्मचारी संघ के अध्यक्ष पवन कुमार ने कहा कि आगामी 5 फरवरी को राज्यभर के एमपीडब्ल्यू रांची में जुटेंगे. संघ के द्वारा एक बैठक आहूत की गई है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार से हमारी एक ही मांग है कि हम सभी संविदा कर्मियों को नियमित किया जाए.
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