LagatarDesk : अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आज कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट आई है. ब्रेंट क्रूड के दाम 85 डॉलर प्रति बैरल से गिरकर 79 डॉलर प्रति बैरल के नीचे आ गया है. पिछले 48 घंटे में कच्चे तेल के दाम 5 फीसदी घटे हैं. फिलहाल डब्लूटीआई की कीमत 79.58 डॉलर प्रति बैरल हो गयी है. वहीं ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमत भी घटकर 81.21 डॉलर प्रति बैरल हो गयी है.
आने वाले महीनों में पेट्रोल-डीजल के दाम में और होगा इजाफा
ऊर्जा विशेषज्ञ नरेंद्र तनेजा का मानना है कि एक्साइज ड्यूटी कम होने के बावजूद आने वाले दिनों में पेट्रोल-डीजल के दामों में फिर से बढ़ोतरी होगी. यानी आने वाले महीनों में पेट्रोल और डीजल के दाम और बढ़ेगा. नरेंद्र तनेजा ने कहा कि भारत तेल (पेट्रोल-डीजल) का आयात करता है. भारत में करीब 86 फीसदी तेल का आयात होता है. ऐसे में तेल के दाम किसी सरकार के हाथ में नहीं हैं. ऐसे में पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ना लाजमी है.
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2023 तक 100 डॉलर के पार होगा कच्चा तेल
तनेजा का मानना है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल के दाम बढ़ने का पहला सबसे प्रमुख कारण कोरोना महामारी है. उन्होंने बताया कि जब भी डिमांड और सप्लाई में असंतुलन होता है तो कीमतों में वृद्धि होती है. वहीं दूसरा कारण तेल क्षेत्र में निवेश की कमी है. क्योंकि सरकारें सौर ऊर्जा जैसे नवीकरणीय / हरित ऊर्जा क्षेत्रों को बढ़ावा दे रही है. ऐसे में आने वाले महीनों में कच्चा तेल और अधिक महंगा हो जायेगा. 2023 तक इसकी कीमत 100 डॉलर हो सकती है.
पेट्रोल-डीजल के दाम घटने-बढ़ने का ये है कैल्कुलेशन
तनेजा ने सरकार द्वारा पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी कम करने को लेकर भी कुछ बातें कही. उन्होंने कहा कि जब तेल की कीमतें कम होती है तो सरकार उत्पाद शुल्क बढ़ाती है. जब तेल बहुत महंगा होता है, तो सरकार उत्पाद शुल्क कम करती है.
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जीएसटी के दायरे में आने से जनता को मिल सकती है और राहत
तनेजा का मानना है कि पेट्रोल-डीजल को जीएसटी में शामिल किया जाना चाहिए. ताकि जनता को ज्यादा राहत मिल सके और ज्यादा पारदर्शिता भी आये. बता दें कि आम-जनता पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों से परेशान थी. ऐसे में केंद्र सरकार ने लोगों को दिवाली का तोहफा दिया था. दरअसल केंद्र सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर लगने वाली एक्साइज ड्यूटी में कटौती की. सरकार ने पेट्रोल पर 5 और डीजल पर 10 रुपये एक्साइज ड्यूटी में कटौती की है. ईंधन की रिकॉर्ड उच्च कीमतों के बीच तीन वर्षों में केंद्रीय उत्पाद शुल्क में यह पहली कटौती है.
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