एका बटीगुनु जावा फुल पोइंदा धर्मेश गय बटा गिनु पोयंदा
Ranchi: सरना नवयुवक संघ केंद्रीय समिति के तत्वावधान में आयोजित करम पूर्व संध्या समारोह रांची विश्वविद्यालय के दीक्षांत मंडप और अरगोड़ा मैदान में सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित हुआ. करम पर्व पूर्व संध्या पर अरगोड़ा मैदान में सांस्कृतिक संगोष्ठी सह सांस्कृतिक कार्यक्रम ” करम अखरा ” का आयोजन हुआ. पर्यटन,कला संस्कृति, खेलकूद एवं युवा कार्य विभाग द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम के अंतिम दिन संगोष्ठी में पद्मश्री मुकुंद नायक, डॉ वंदना राय एवं डॉ शकुंतला मिश्रा ने अपने वक्तव्य प्रस्तुत किये. जिसमें करम पर्व की महत्ता और पौराणिकता के बारे में बताया गया.
विभिन्न दलों ने प्रस्तुत किया अनोखा नृत्य-संगीत कार्यक्रम
संगोष्ठी के बाद विभिन्न दलों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए. जिसमें लक्ष्मी नाथ महतो एवं दल रांची के द्वारा नागपुरी गीत एवं जानकी देवी उनके दल के द्वारा नागपुरी कर्म नृत्य , झिरगा भगत एवं दल, रांची के द्वारा उरांव करम नृत्य गीत, सत्यव्रत ठाकुर एवं दल सिमडेगा के द्वारा राटा नृत्य एवं करम नृत्य, विनय प्रकाश मुंडा एवं दाल रांची के द्वारा मुंडारी करम गीत नृत्य ,सुषमा नाग एवं दल गुमला के द्वारा कडसा करम नृत्य , बसंत खरवार एवं दल, लातेहार के द्वारा करम नृत्य , रामदास बिरहोर एवं दल लातेहार के द्वारा बिरहोर करम गीत नृत्य, प्रेमिका असुर एवं दल गुमला के द्वारा असुर करम गीत नृत्य एवं दीपक लोहार एवं दल रांची के द्वारा नागपुरी नृत्य, नाटिका सुंदर प्रस्तुति दी गई. कार्यक्रम में शैलजा बाला, कोरनीलुइस मिंज, पद्मश्री मधु मंसूरी हंसमुख , महावीर नायक आदि शामिल हुए.
दीक्षांत मंडप में छात्र-छात्राओं ने दी प्रस्तुति
दीक्षांत मंडप में आयोजित पूर्व संध्या कार्यक्रम में 32 कॉलेज और छात्रावास के छात्र छात्राएं शामिल हुए. जिसमें मुंडारी, कुड़ुख, हो भाषा में एकल और सामूहिक लोक गीत प्रस्तुत किये गए. करम गीत जनजातीय भाषाओं में मांदर के थाप पर नाचगान प्रस्तुत किया गया. सभी छात्र छात्राएं पारंपरिक वेशभूषा वाद्ययंत्र में थिरक रहे थे. मुख्य अतिथि रांची विश्वविद्यालय के वीसी अजीत कुमार सिन्हा ने कहा कि करम पर्व प्रकृति पर्व है.आज पूरे झारखंड में प्रक्रति को पूजा कर रहे हैं. जनजातीय विभाग के विभागाध्यक्ष डा हरि उरांव ने कहा कि करम पूजा भाई बहनो का त्योहार है. यहां बहन अपने भाईयों के लिए प्रार्थना करती हैं. जवा उठाने का आदिवासी समाज में अंकुरन का प्रतीक माना गया है. उसका भावना और संदेश को बाटां है. पूरे साल भर का भादो एकादशी में ही अंकुर बांटने की परंपरा है. पूरे त्योहार में करम और धरम ही एकमात्र त्योहार है. करम धरम आधारित ही सभी कुछ होना चाहिए. तभी इस पर्व में करम और धरम दोनों का संतुलन बना रहेगा. इंसान केवल करम करेगा और धरम छोड देने से मानव जीवन में अहंकार आ जाएगा. अगर इंसान धरम करेगा तो अंहकार नहीं आएगा.
43वां सरना फूल का हुआ विमोचन
करम पूर्व संध्या में 48 पेज का सरना फुल पुस्तक का किया गया. कार्यक्रम से पूर्व दिवंगत डॉ करमा उरांव,प्रवीण उरांव, महेश भगत को श्रद्धाजंलि दी गई. इस मौके पर साधु उरांव,डॉ बंदे खलखो,जोरे भगत, विकास उरांव, सुखराम उरांव, लक्ष्मण उरांव,गणेश उरांव समेत सैकड़ों लोग शामिल थे.