Basant Munda
Ranchi : राष्ट्रीय आदिवासी मुंडा परिषद की ओर से शुक्रवार को धुमकुड़िया भवन करमटोली में भगवान बिरसा मुंडा की तस्वीर पर माल्यार्पण कर सीएनटी एक्ट की 114वीं वर्षगांठ मनायी गयी. परिषद के अध्यक्ष लक्ष्मी नारायण मुंडा ने कहा कि संथाल परगना वाला क्षेत्र को छोड़कर राज्य के 18 जिलों में अंगेजों ने 11 नवंबर 1908 को सीएनटी एक्ट लागू किया था. विकास के नाम पर आदिवासियों की जमीन ली गई. लेकिन यहां के आदिवासियों का अबतक विकास नहीं हुआ.आज भी हजारों लोग बेघर होकर तिहाड़ी मजदूरी कर रहे हैं. कहा कि मुंडाओं का इतिहास हजारों साल पुराना है. भूखे प्यास रहकर हजारों मुंडाओं ने अपनी जान की आहुति दी है.
रांची में 40 प्रतिशत जमीन मुंडाओं की
उन्होंने कहा कि रांची मुंडाओं का गढ़ है. रांची में 40 प्रतिशत जमीन मुंडाओं की है,लेकिन आदिवासी के नाम पर इनकी जमीन भूइंहरी ,पहनई बताकर लूटने का प्रयास किया जा रहा है. दिन ब दिन मुंडाओं की जीवनशैली गिरती जा रही हैं. मुंडा आदिवासियों पर अन्य जनजातियों की प्रथा थोपी जा रही है. मुंडा समाज को नेता पहचानना सीखना होगा. समाज को जागने की जरूरत हैं.
मुंडाओं को एक मंच पर आने की जरूरत – प्रेमशाही मुंडा
आदिवासी जनपरिषद के केंद्रीय अध्यक्ष प्रेमशाही मुंडा ने कहा कि सामाजिक रूप से हम पिछड़ते जा रहे हैं. अस्तित्व बचाने के लिए मुंडाओं को एक मंच पर आना होगा.आपसी मतभेद छोड़कर एक सामाजिक संगठन बनाकर चलना होगा. मुंडा समुदाय की बात होती है, तो महाराजा मदरा मुंडा, सुतिया मुंडा, गया मुंडा, बिरसा मुंडा, जयपाल सिंह मुंडा की याद आती है. लेकिन आज इतिहास को छिपाने का प्रयास किया जा रहा है.
तीन जनवरी को होगा मुंडाओं का महाजुटान
बबलू मुंडा ने कहा कि समाज ने मंत्री, विधायक, सांसद बनाया, लेकिन आज मुंडा समाज को भुला दिया गया है. मुंडा जनजाति अलग-थलग रहकर जीवन यापन कर रहे हैं. जबतक संगठन एक मंच पर नहीं आयेगा, तब तक समाज का विकास नहीं हो सकता है. इसलिए तीन जनवरी को मुंडाओं का महाजुटान होगा. कार्यक्रम में बिनोद मुंडा, हरेलाल मुंडा, ललिता मुंडा, बहादुर पाहन, दिनेश मुंडा, डब्लू मुंडा, सुनिल मुंडा, बलदेव मुंडा, दिनेश मुंडा, अर्जुन मुंडा उपस्थित थे.
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