Ranchi: साइकिल…एक ऐसी दोपहिया सवारी जिसमें ईंधन की आवश्यकता नहीं होती. थोड़ी दूरी की सफर के लिए सुरक्षित सफल साधन भी है. खुद को स्वस्थ रखने और पर्यावरण को प्रदूषण से बचाने के लिए रांची में साल में 2019 साइकिल शेयरिंग सर्विस की शुरुआत की गई थी. शुरुआती दौर में लोगों ने इसे काफी पसंद भी किया. लेकिन वर्तमान में हालात यह है कि यह लोगों की उदासीनता का शिकार हो रहा है. रांची की लेटेस्ट खबरों के लिए यहां क्लिक करें…
लोग नहीं ले रहे रुचि, रखरखाव के अभाव में साइकिल हो रहे खराब
बीते 3 मार्च 2019 को जर्मन मेड साइकिल रांची लायी गई थी. तत्कालीन रघुवर सरकार ने नगर विकास विभाग की पहल से इसकी शुरुवात की थी. इसके लिए राजधानी के अलग-अलग हिस्से में 60 साइकिल स्टैंडों पर कुल 600 जर्मन मेड साइकिलें रखी गयी हैं. शुरुआती दौर में लोगों में इसके प्रति रुझान भी देखा गया. विदेश की साइकिलें चलाने की लालसा में लोग सुबह-सुबह साइकिल स्टैंड पहुंच रहे थे. लोगों ने अपने मोबाइल फोन पर चार्टर्ड बाइक का ऐप भी डाउनलोड कर रखा था. लेकिन अब राजधानीवासियों में इसका क्रेज खत्म होने लगा है. बहुत कम ही लोग अब इस साइकिल शेयरिंग सर्विस का इस्तेमाल कर रहे हैं.
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जब हमने हरमू रोड, कचहरी रोड, मोरहाबादी ,रातू रोड स्थित साइकिल स्टैंड का जायजा लिया तो अधिकतर साइकिल स्टैंड में खड़े पड़े मिले. आसपास के लोगों से बात करने पर उन्होंने बताया कि पूरे दिन यह सभी साइकिल खड़ी रहती है. चलाने वाले लोग बहुत कम ही आते हैं, कभी कभार इक्का-दुक्का लोग साइकिल को लेकर जाते हैं. इसके अलावा रखरखाव के अभाव में भी यह साइकिलें खराब हो रही हैं.
एक भी कर्मचारी नहीं दिखता
बता दें कि आज से 3 साल पहले यानी तीन मार्च 2019 को इस साइकिल शेयरिंग सर्विस की शुरूआत हुई थी. कंपनी को हर साइकिल स्टैंड पर एक कर्मचारी रखना था, लेकिन वर्तमान की स्थिति यह है कि साइकिल स्टैंड पर एक भी कर्मचारी नजर नहीं आते हैं. जब रघुवर दास की सरकार थी तो लोगों को इसके लिए खूब जागरूक किया गया था.
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सरकार बदलने के बाद भी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने “शनिवार और रविवार नो कार” अभियान चलाया था. इसके बावजूद भी लोगों को साइकिल शेयरिंग सर्विस पसंद नहीं आ रहा है, और यह सर्विस लोगों के उपेक्षा का शिकार हो रहा है.