Ranchi: मेरे आंसू पांच दिन के छोटे मॉनसून सत्र के कारण नहीं छलके हैं. इन आंसुओं का कारण पिछले दो वर्षों में हेमंत सरकार में अनुसूचित जाति समाज की हो रही अनदेखी है. भूखल घासी और उसके परिवार के अन्य सदस्यों की मौत भूख से हो जाना, रघु पासी की मौत ठंड से होना, राज्यभर में दलितों की जमीन की लूट, विशेष समुदाय द्वारा दलितों पर जानलेवा हमला होना, दलितों को घर से बेघर करना, दलित समाज की बेटियों के साथ दुर्व्यवहार जैसी कई ऐसी घटनाएं हैं, जो मेरे आंसू के कारण बने. बीजेपी विधायक अमर बाउरी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर यह बातें कहीं.
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दलितों के मुद्दे को सरकार और सदन का संरक्षण नहीं मिला
उन्होंने कहा कि दलितों के मुद्दों को मैंने सरकार और सदन में उठाने की कोशिश की, लेकिन न तो सरकार का और न ही सदन का संरक्षण मिला. मेरे आंसू मेरी कमजोरी नहीं है, बल्कि मेरा अपने समाज के प्रति समर्पण, अपने समाज के प्रति दायित्व और बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के दिए गए संविधान के ऊपर मेरा विश्वास का प्रतीक है. जो चीख-चीख कर बोल रहा है कि राज्य में दलितों के ऊपर अत्याचार बढ़े हैं और उन्हें न्याय नहीं मिल रहा है.
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लाख मिन्नतों के बावजूद स्पीकर ने नहीं पढ़ा कार्य स्थगन प्रस्ताव
अमर बाउरी ने कहा यह दलितों को मात्र वोट बैंक और अपने पैर की धूल समझती है. विधायक ने कहा कि बीजेपी कार्यकर्ताओं पर हुए लाठीचार्ज को लेकर गुरुवार को उन्होंने सदन में कार्य स्थगन प्रस्ताव लाया था, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष ने उनके कार्य स्थगन प्रस्ताव को पढ़ा तक नहीं. वे सदन के अंदर सीखते रहे, चिल्लाते रहे. आसन से मिन्नतें करते रहे, लेकिन आसन में उनकी बातों को नजरअंदाज कर दिया. ऐसे में उनका दर्द आंसू के रूप में बाहर आ गया.