Ranchi : दीपावली का पांच दिवसीय पर्व धनतेरस पर शुरू हो भैया दूज पर समाप्त होता है. इस साल दीपावली का सप्ताह 12 नवंबर से 16 नवंबर के बीच है. भारत में हर राज्य में इन दिनों दीवाली अपने तरीके से मनायी जाती है. पश्चिम बंगाल में जहां इन दिनों काली पूजन का उत्सव धूम-धाम से मनाया जाता है तो वहीं भारत के दक्षिणी राज्यों के लिए नरका चतुर्दशी का दिन महत्वपूर्ण होता है.
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इस साल धनतेरस और छोटी दीवाली यानी नरक चतुर्दशी के बारे में तिथियां स्पष्ट नहीं हैं. कुछ जगहों पर धनतेरस 12 नवंबर को मनाया गया, जबकि कुछ लोग 13 नवंबर को धनतेरस मना रहे हैं. इस कारण कई राज्यों में छोटी और बड़ी दीवाली एक ही दिन मनाई जाएगी.
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कृष्ण भगवान ने किया था नरकासुर का वध
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, नरक चतुर्दशी कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को पड़ती है. पौराणिक मान्यता के अनुसार, नरक चतुदर्शी के दिन ही भगवान श्रीकृष्ण ने अत्याचारी असुर नरकासुर का वध कर सोलह हजार एक सौ कन्याओं को नरकासुर के बंदी गृह से मुक्त कराया था. कन्याओं को सामाजिक शर्मिंदगी और घृणा से बचाने हेतु श्रीकृष्ण ने सभी कन्याओं से विवाह कर लिया था. इस उपलक्ष्य में दीवाली के एक दिन पहले दीपदान की परंपरा है. नरक चतुर्दशी को रूप चतुर्दशी और रूप चौदस के नाम से भी जाना जाता है.
यमराज और बजरंगबली की पूजा करने का है विधान
इस दिन घर के मुख्य द्वार पर दीपक जलाने की परंपरा है. पूरे भारत में दीवाली से एक दिन पहले देश भर में छोटी दीवाली मनाई जाती है. पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन भगवान कृष्ण यमराज और बजरंगबली की पूजा करने का विधान है. मान्यता है कि इस दिन पूजा करने से मनुष्य नर्क में मिलने वाली यातनाओं से बच जाता है, साथ ही अकाल मृत्यु से भी रक्षा होती है.