Ranchi : संथाल की सियासत, वहां की जनता का मूड और कार्यकर्ताओं की नब्ज टटोलने बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश संथाल गये हैं. एक-दो दिन नहीं पूरे सात दिन का कार्यक्रम बनाकर वे संथाल निकले हैं. इन सात दिनों में प्रदेश अध्यक्ष 7 जिलों के 18 विधानसभा क्षेत्रों में पार्टी को मजबूत करने और राज्य सरकार के खिलाफ आंदोलनों की रूपरेखा तैयार करेंगे.
इस दौरे में दीपक प्रकाश का कार्यक्रम उन्हीं विधानसभा क्षेत्रों में हैं जहां जेएमएम और कांग्रेस का दबदबा है. शिकारीपाड़ा, जामा, जरमुंडी, जामताड़ा, नाला, पाकुड़, लिट्टीपाड़ा, महेशपुर, राजमहल, बोरियो और बरहेट में दीपक का सबसे ज्यादा ‘प्रकाश’ रहेगा. हालांकि इससे पहले रघुवर दास और बाबूलाल मरांडी ने भी संथाल के खूब दौरे किये थे. रघुवर ने तो अपनी सरकार में संथाल के लिए योजनाओं का पिटारा ही खोल दिया था, लेकिन सरकारी योजनाएं और घोषणाएं भी बीजेपी को संथाल में कोई फायदा नहीं दिला सकी.
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संथाल के वोटरों का मिजाज भापना है बड़ा मुश्किल
दुमका और मधुपुर उपचुनाव में करारी शिकस्त के बाद बीजेपी ने संथाल से ध्यान हटा दिया था. अब एक बार फिर से बीजेपी संथाल में एक्टिव हो रही है. राजनीतिक रणनीतिकारों को पता है कि सत्ता की कुर्सी संथाल की 18 विधानसभा सीटों से होकर ही जाती है. 2014 में बीजेपी की संथाल में सेंधमारी की कोशिश काफी हद तक सफल भी हो चुकी थी. दुमका सीट से हेमंत सोरेन को हराने के बाद बीजेपी का उत्साह चरम पर था, बीजेपी को लगा अब संथाल का जेएमएम से मोहभंग हो गया है. दुमका के साथ-साथ सभी 18 सीटों को जीतने के लिए बीजेपी ने पूरी ताकत लगा दी. नरेंद्र मोदी, अमित शाह समेत कई केंद्रीय नेता संथाल का दौरा कर गये, लेकिन इस बार संथाल का मूड बदल गया. सीटें क्या बढ़ती, उल्टे दुमका, बोरियो और महगामा सीट भी बीजेपी के हाथ से खिसक गई. इसके बाद दुमका उपचुनाव में बीजेपी को फिर से एक चांस मिला, लेकिन तमाम कोशिशों के बाद भी बीजेपी दोबारा इस सीट पर काबिज नहीं हो पाई.
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कार्यसमिति में संथाल को नहीं मिला है उचित प्रतिनिधित्व
2019 के विधानसभा चुनाव के बाद संथाल में बीजेपी का सांगठनिक ढांचा भी कमजोर हुआ है. दीपक प्रकाश की कार्यसमिति में संथाल के नेताओं को दरकिनार कर दिया गया है. संथाल से सिर्फ राज पलिवार, मिस्फिका हसन और विनोद शर्मा को ही कार्यसमिति में जगह मिली. संथाल में बीजेपी के सभी मौजूदा विधायक और सांसद भी सिर्फ अपने विधानसभा और लोकसभा क्षेत्रों तक ही सीमित हैं. न उन्हें पार्टी की ओर से कोई जिम्मेदारी मिली है और न ही उन्होंने दूसरे क्षेत्रों में संगठन को मजबूत करने की कोई कोशिश की.
सिर्फ गोड्डा के सांसद निशिकांत दुबे ही 2019 विधानसभा चुनाव के बाद से अबतक संथाल में बीजेपी की तरफ से खड़े दिखाई दिये. देवघर, गोड्डा, साहेबगंज समेत अन्य विधानसभा क्षेत्रों में उनकी मौजूदगी दिख रही है. आये दिन किसी न किसी मुद्दे पर राज्य सरकार को चुनौती दे रहे हैं.
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