- कई खूबियों से लैस है लाइटवेट इलेक्ट्रिक साइकिल
- बिजली या सोलर एनर्जी से 2 घंटे में फुल चार्ज होती है बैट्री
- पैडल मारने से भी चार्ज होती है बैट्री
Basant Munda
Ranchi: जमाना इलेक्ट्रिक वाहनों का आ चुका है. खास कर दोपहिया इलेक्ट्रिक वाहनों की डिमांड इन दोनों खूब बढ़ गई है, लेकिन ये पेट्रोल वाले बाइक और स्कूटी से थोड़े महंगे आते हैं. ऐसे में महंगे दोपहिया वाहनों को टक्कर देने के लिए रांची के रातू स्थित सरना नगर के 25 वर्षीय दिव्यांग युवक दीपक कुमार सिंह ने इलेक्ट्रिक साइकिल का निर्माण किया है. यह लाइटवेट साइकिल कई खूबियों से लैस है. एक चार्ज में यह करीब 60 किलोमीटर चलती है. इसे एक बार फुल चार्ज करने में सिर्फ 2 यूनिट बिजली खर्च होती है. 2 घंटे में बैट्री फुल चार्ज हो जाती है.
साइकिल को बिजली के साथ-साथ सोलर एनर्जी से भी चार्ज किया जा सकता है. इसकी सबसे बड़ी खासियत ये है कि अगर 60 किलोमीटर चलने के बाद बैट्री खत्म हो जाए तो पैडल मारने से भी बैट्री चार्ज हो जाएगी. साइकिल में 30 एंपीयर की क्षमता वाले 12 वोल्ट के 2 बैट्री लगे हैं. हब मोटर और दो सेंसर लगाए गए हैं. इसमें एक और महत्वपूर्ण फीचर ये है कि ब्रेक मारने पर इसका एक्सिलेटर काम करना बंद कर देता है.
इस साइकिल को बनाने में करीब 25 हजार रुपए लागत आई है. थोड़ी बहुत मोडिफिकेशन के बाद यह साइकिल और भी आकर्षक हो जाएगी. साइकिल के निर्माता दीपक बी-कॉम कर चुके हैं. फिलहाल पंडरा के रिलायंस मार्ट में पार्ट टाइम जॉब करते हैं. दीपक का एक पैर आर्टिफिशयल है. इसलिए वह पैदल बहुत ज्यादा दूर नहीं चल सकते और न ही साइकिल के पैडल बहुत देर तक मार सकते हैं. निर्धन होने के कारण बाइक या स्कूटी खरीदने के पैसे नहीं थे, तो उन्होंने सोचा क्यों न एक इलेक्ट्रिक साइकिल बनाकर उसी से आने-जाने का काम करें. दीपक ने 10 साल पहले इलेक्ट्रिक साइकिल बनाना शुरू किया था, लेकिन पहली कोशिश में सफल नहीं हुए, लेकिन कोशिश नहीं छोड़ी. आखिरकार प्रयास सफल हुआ और उनकी इलेक्ट्रिक साइकिल तैयार हो गई.
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दीपक को यह साइकिल बनाने में एक महीने का समय लगा है. उन्होंने साइकिल स्टार्ट करने के लिए सेल्फ बटन के साथ-साथ दो गियर भी लगाया हैं. दीपक के इस आविष्कार की काफी सराहना हो रही है. स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता और राज्यसभा सांसद महुआ माजी ने भी दीपक को उनकी इस उपलब्धि के लिए सम्मानित किया है. दीपक दिव्यांगों के लिए इलेक्ट्रिक साइकिल बनाना चाहते हैं. वे चाहते हैं कि इसमें उन्हें सरकार की ओर से मदद मिले.