NewDelhi : दिल्ली-एनसीआर प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में आज बुधवार को फिर सुनवाई हुई. इस क्रम में केंद्र की मोदी सरकार ने SC में हलफनामा दायर कर साफ किया कि उसके लिए अपने कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम मोड में भेजना मुमकिन नहीं है. खबर है कि केंद्र सरकार ने 392 पेज के अपने हलफनामे में कहा, कोविड के कारण पहले ही कामकाज प्रभावित हुआ है, जिसका देश पर असर पड़ा है.
सुनवाई के क्रम में CJI एनवी रमना ने केंद्र सरकार के कार्यालयों के बारे में पूछा. इस पर केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने हलफनामा पेश करते हुए बताया कि अगर हम सभी को वर्क फ्रॉम होम मोड में भेज भी देते हैं तो उसका कोई असर नहीं होगा. महज सड़कों पर कुछ गाड़ियां ही कम होंगी.
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छोटे राज्यों में वर्क फ्रॉम होम हो सकता है
इस पर कोर्ट ने कहा कि केंद्र को भी कुछ योगदान देना चाहिए. आपको 100 फीसदी कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम में भेजने की जरूरत नहीं है. कहा कि कोविड के समय भी आपने पाबंदियां लगाई थीं और संख्या कम की थी. अपनी दलील रखते हुए एसजी मेहता ने कहा कि दिल्ली जैसे छोटे राज्यों में वर्क फ्रॉम होम हो सकता है लेकिन केंद्र सरकार के ऑफिसेस को बंद नहीं कर सकते क्योंकि इससे देश पर असर पड़ेगा.
SC ने यह भी कहा कि केंद्रीय कर्मचारियों के 1000 में 100 कार्यालय एक ही जगह है. ऑफिस का समय भी तय है. फिर क्यों आपके कर्मचारी या अधिकारी एक ही बस या गाड़ी से ऑफिस नहीं आ सकते? इस पर एसजी ने बताया कि सरकार ने अपने कर्मचारियों को कार-पूलिंग का सुझाव दिया है.
चीफ जस्टिस एनवी रमना ने ब्यूरोक्रेसी को भी फटकार लगाई
चीफ जस्टिस एनवी रमना ने ब्यूरोक्रेसी को भी फटकार लगाई. उन्होंने कहा कि पिछले 30 साल से एक जज के तौर पर मैंने देखा है कि ब्यूरोक्रेसी कुछ नहीं करना चाहती. वो कोई फैसला नहीं लेना चाहती. वो चाहती है कि हर फैसला और सुझाव कोर्ट ही दे. वो चाहती है कि हम उन्हें बतायें कि लड़ना कैसे है. उन्होंने कहा कि कल मीटिंग में कोई फैसला क्यों नहीं लिया गया? हमारा 2 घंटे का समय बर्बाद कर दिया.
इसके बाद एसजी मेहता ने कहा कि एक राजा था, उसने फैसला लिया कि उसके राज्य में कोई भी भूखा नहीं सोएगा. तो उसके राज्य में काम करने वाले अधिकारी किसी को सोने ही नहीं देते थे. इस पर सीजेआई ने कहा कि कम से कम उसने ये तो सोचा कि कोई भूखा था या नहीं. लेकिन यहां तो ये हमारे आदेशों पर अपने हस्ताक्षर कर देते हैं.
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शटडाउन पर 21 के बाद विचार करेगा कोर्ट
सुनवाई के दौरान एसजी तुषार मेहता ने कहा कि मौसम विभाग का कहना है कि 21 नवंबर के बाद स्थिति में सुधार आने की संभावना है. अभी कई पाबंदियां लगाई गयी हैं. क्या कोर्ट कोई सख्ती दिखाने से पहले 21 तारीख तक इंतजार कर सकता है. कोर्ट ने भड़कते हुए कहा कि हम हाथ पर हाथ धरकर बैठकर मौसम बदलने का इंतजार नहीं कर सकते. कोर्ट ने यह भी पूछा कि सरकार को प्लान बताना चाहिए कि वो प्रदूषण को रोकने के लिए क्या कदम उठा रही है.
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि मौसम सुधरेगा तो प्रदूषण की स्थिति में भी सुधार होगा, क्या आप इसी का इंतजार कर रहे हैं. इसके बाद सीजेआई ने कहा कि वो 21 तारीख के बाद कम्प्लीट शटडाउन पर विचार करेंगे. इस मामले में अब 24 नवंबर को अगली सुनवाई होगी.
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