Ranchi : रांची प्रेस क्लब में शनिवार को डेल्फिक काउंसिल ऑफ झारखंड की पीसी हुई. इसमें डेल्फिक गेम्स के गौरवमयी इतिहास के बारे में जानकारी दी गई. काउंसिल के अध्यक्ष सेवानिवृत्त आइएएस अधिकारी एनएन पांडे ने कहा कि ओलंपिक खेल की तरह ही डेल्फिक खेल भी 2500 वर्ष पूर्व आरंभ हुआ था. जिस प्रकार ओलंपिया गांव से ओलंपिक खेलों की शुरुआत हुई, ठीक उसी प्रकार डेल्फी गांव से डेल्फिक खेलों की शुरुआत हुई. दोनों खेलों के आयोजन में फर्क सिर्फ इतना ही है कि ओलंपिक में शारीरिक खेलों का आयोजन और प्रतियोगिता होती है. वहीं डेल्फिक में सांस्कृतिक कलाओं जैसे गायन, नृत्य, नाटक, सर्कस, कविता पाठ, चित्रकारी इत्यादि का आयोजन होता है. जिस प्रकार ओलंपिक खेलों की वर्ष 1894 में शुरूआत हुई. ठीक उसी प्रकार 1994 में डेल्फिक खेलों को पुनर्स्थापित किया गया.
इसे भी पढ़ें – जदयू प्रदेश कार्यसमिति की हुई बैठक, 22 प्रस्ताव पारित
डेल्फिक गेम्स मुख्यतः 6 भागों में विभाजित
अनेक अंतरराष्ट्रीय संगठन जैसे यूनेस्को, आसियान और यूरोपीय संघ में डेल्फिक खेलों का आयोजन होता रहा है. डेल्फिक गेम्स को मुख्यतः 6 भागों में विभाजित किया गया है. जिसमें मुख्यतः संगीत एवं वाद्य कला, क्षेत्रीय भाषाई कला, नाट्य कला, सांस्कृतिक कला मुख्य हैं. डेल्फिक खेलों के आयोजन का मुख्य उद्देश्य है, लुप्तप्राय हो रहे कलाओं को जीवन प्रदान करना और छोटे स्तर के कलाकारों को एक सशक्त मंच देना. आगामी कार्य योजना की जानकारी देते हुए पांडे ने बताया, 19 दिसंबर को डेल्फिक की शुरुआत होगी. जिसमें झारखंड की कला संस्कृति को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान-सम्मान दिलाना प्राथमिकता होगी.
इनकी रही उपस्थिति
इस दौरान सेवानिवृत्त पदाधिकारी एके रस्तोगी, प्रोफेसर मृणाल पाठक चटर्जी वंदना समेत कई गणमान्य मौजूद रहे.
इसे भी पढ़ें – सुदूर ग्रामीण इलाके में शिक्षा का अलख जला रहे युवा