Ranchi: रिम्स माइक्रोबायोलॉजी विभाग के एचओडी डॉ मनोज कुमार ने कहा कि डब्ल्यूएचओ के अनुसार भारत में कोरोना की दूसरे लहर के दौरान डेल्टा म्युटेंट ने तबाही मचायी थी. कोरोना आरएनए वायरस है. जिसका म्युटेंट बदलता रहता है. डेल्टा म्युटेंट बदलकर अब डेल्टा प्लस हो गया है. भारत में कई लोगों में डेल्टा प्लस म्युटेंट पाया गया है. झारखंड में इस वेरिएंट का पता लगाने के लिए सैंपल को आईएलएस लैब भुवनेश्वर भेजा गया है. कुछ अन्य सैंपल और भेजे जाएंगे. हालांकि उन्होंने बताया कि राज्य सरकार के आदेश के अनुसार हर महीने सैंपल के सिक्वेंसिंग के लिए भुवनेश्वर भेजे जा रहे हैं. डॉ मनोज ने बताया कि बिना सिक्वेंसिंग के वेरिएंट का पता नहीं लगाया जा सकता.
ट्रांसमिशन रेट का पता लगाना बाकी
डॉ मनोज कुमार ने बताया कि डेल्टा प्लस के इस वेरिएंट का ट्रांसमिशन रेट कितना है, यह अभी पता नहीं चला है. उन्होंने बताया कि अगर डेल्टा प्लस फैलता है तो तीसरी लहर के आने की संभावना बढ़ जाएगी. उन्होंने बताया कि हो सकता है कि इस म्युटेंट का इन्फेक्शन रेट कम हो. इस दौरान लापरवाही करने से खतरा बढ़ सकता है. इसलिए कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते रहना चाहिये. लापरवाही लोगों पर भारी पड़ सकती है.
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झारखंड में सिक्वेंसिंग के लिए किया गया है पत्राचार
माइक्रोबायोलॉजी विभाग के एचओडी डॉ मनोज कुमार ने बताया कि झारखंड में सिक्वेंसिंग की व्यवस्था होने से म्युटेंट का पता तुरंत लगाया जा सकता था. अभी वर्तमान में सैंपल को सिक्वेंसिंग के लिए आईएलएस भुवनेश्वर भेजा जाता है. जिससे म्युटेंट के वेरिएंट पता चलने में करीब 30 दिन लग जाते हैं. राज्य में सिक्वेंसिंग मशीन की व्यवस्था करने के लिए स्वास्थ्य सचिव ने आईसीएमआर को लिखा है. अगर सिक्वेंसिंग मशीन की व्यवस्था झारखंड में हो जाती है, तो म्युटेंट के वेरिएंट के स्ट्रेन का पता लगने में ज्यादा समय नहीं लगेगा. जिससे सरकार को तैयारी करने में मदद मिल जाएगी.