Ranchi: झारखंड में शिक्षकों की नियुक्ति में अब पिछड़े वर्ग को आरक्षण देने की मांग शुरू हो गयी है. जय झारखंड संस्था ने शिक्षा मंत्री से पिछड़ों को शिक्षक नियुक्ति में आरक्षण देने की मांग की है. संस्था ने शिक्षा मंत्री से कहा है कि 2021 को सरकार ने नियुक्ति वर्ष घोषित किया है. एक लाख से अधिक रिक्त पदों पर नियुक्ति की तैयारी चल रही है. 75,000 प्राथमिक शिक्षक समेत अन्य पदों पर जो नियुक्तियां होनी है, वो जिला संवर्ग के हैं और 7 जिलों में पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षण शून्य है. रांची समेत 5 जिलों में पिछड़ों के लिए आरक्षण का प्रतिशत 10 से भी कम है, जबकि इन जिलों में आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्ण वर्ग की आबादी 10 प्रतिशत से कम है, लेकिन उन्हें 10 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है.
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झारखंड अलग होने के बाद पिछड़ों को सिर्फ 14 प्रतिशत आरक्षण मिल रहा
संस्था ने कहा है कि एक ओर अनुसूचित जाति के लोगों को आबादी के अनुपात में और आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को आबादी के अनुपात से ज्यादा आरक्षण मिल रहा है. वहीं दूसरी ओर पिछड़े वर्ग के आरक्षण में कटौती कर आबादी के अनुपात में बहुत ही कम आरक्षण दिया जा रहा है. जबकि संयुक्त बिहार में सरकारी नौकरियों में पिछड़े वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण मिलता था. झारखंड अलग होने के बाद पिछड़े वर्ग को मात्र 14 फीसदी आरक्षण मिल रहा है, जो राज्य में पिछड़े वर्ग की आबादी के अनुपात में बेहद कम है. यहां पिछड़ों की आबादी 48 फीसदी है और आरक्षण सिर्फ 14 प्रतिशत. ऐसे में पिछड़ों को शिक्षा और रोजगार के मामले में उचित हिस्सा नहीं मिल रहा है.
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राज्य सरकार की सेवाओं में पिछड़ा वर्ग की भागीदारी सिर्फ 12 प्रतिशत
राज्य सरकार की सेवाओं में पिछड़े वर्ग की भागीदारी 12 प्रतिशत है. ज्यादातर थर्ड और फोर्थ ग्रेड की नौकरियों में आउटसोर्सिंग हो रही है, जिसमें किसी भी तरह का आरक्षण लागू नहीं है. इस वजह से पिछड़े वर्ग के लोगों के लिए सरकारी सेवा में आने के अवसर सीमित होते जा रहे हैं. पिछड़े वर्ग को आरक्षण दिये बिना अगर सरकार नियुक्ति कर लेती है, तो आने वाले 30-35 सालों तक इन पदों पर पिछड़े वर्ग के लोग अपनी हिस्सेदारी से वंचित रह जाएंगे. इसलिए शिक्षा मंत्री पिछड़ों का आरक्षण बढ़ाने के लिए आवश्यक पहल करें.