- मनरेगा का वास्तविक बजट 50 हजार करोड़ से भी कम : प्रो ज्यां द्रेज
- गरीबों के लिए लाभकारी योजना को केंद्र अनदेखा कर रहा : दिग्विजय सिंह
- प्रर्दशन में झारखंड के 100 से अधिक मजदूर शमिल
New Delhi/Ranchi : मनरेगा बजट में व्यापक कटौती और मजदूरों के लिए प्रतिदिन 2 बार मोबाइल आधारित हाजिरी प्रणाली अनिवार्य किये जाने के विरोध में दिल्ली के जंतर – मंतर पर कई राज्यों के मनरेगा मजदूर आंदोलन कर रहे हैं. इस विरोध प्रर्दशन में झारखंड के भी 100 से अधिक मजदूर, मेट, सामाजिक कार्यकर्ता शमिल हैं. इस देशव्यापी आंदोलन में झारखंड के गोड्डा, खूंटी, पश्चिम सिंहभूम, लोहरदगा, लातेहार, गिरीडीह, कोडरमा आदि जिलों से लोग आंदोलन में शामिल हैं.
देशभर से शिकायतें आ रही हैं- प्रो ज्यां द्रेज
15 मार्च से चल रहे इस विरोध प्रदर्शन में शामिल देश के जाने- माने अर्थशास्त्री प्रो ज्यां द्रेज ने कहा कि 2023 – 24 के मनरेगा के बजट को 60 हजार करोड़ तक सीमित कर दिया गया है. इसमें से वित्तीय वर्ष 2022-23 के बकाये मजदूरी को घटा दें, तो वास्तविक बजट आवंटन 50 हजार करोड़ से भी कम है. केंद्र सरकार अपने बजट आवंटन को न्यायसंगत बताने के लिए जनवरी महीने से तकनीक का सहारा ले रही है. नेशनल मोबाइल मॉनिटरिंग सिस्टम के जरिये सभी नरेगा कार्यों को अनिवार्य कर दिया गया है. इसके चलते करोड़ों मजदूर मनरेगा कामों से खुद को अलग करने लगे हैं. क्योंकि देशभर से शिकायतें आ रही हैं कि वास्तविक हाजिरी के अनुपात से बहुत लोगो को मजदूरी मिल पा रही है. ठीक इसी प्रकार 1 फरवरी से मंत्रालय द्वारा आधार आधारित भुगतान प्रणाली के अनिवार्य किये जाने से भी मजदूरी भुगतान नहीं हो पा रहा है. इससे निकट भविष्य में मनरेगा में कुल मानव दिवस खुद ब खुद काम हो जाएगा. और सरकार को ये साबित करने का मौका मिल जाएगा कि मनरेगा में कुल सृजित मानव दिवस के अनुरूप बजट आवंटन तर्कसंगत है.
केंद्र सरकार लगातार अनदेखी कर रही हैः दिग्विजय सिंह
धारना में शमिल कांग्रेस के सांसद दिग्विजय सिंह ने स्वीकार किया की प्रो ज्यां द्रेज द्वारा उठाये गए सभी सवाल वाजिब हैं. इसमें कोई शक नहीं कि गरीबों के लिए लाभकारी योजना की लगातार अनदेखी की जा रही है. इसका साफ उदाहरण बजट में कटौती है. उन्होंने कहा कि फिलहाल तो सत्ता पक्ष ही सत्र नहीं चलने दे रहा है. सत्र चलने लगेगा तो पार्टी मनरेगा से जुड़े सवालों को संसद में उठाएगी. अन्य पार्टी के सांसदों ने भी मजदूरों के सवालों को सांसद में उठाने की बात दोहराई .
मोबाइल नेटवर्क बिल्कुल न के बराबर, कैसे बनेगी हाजिरीः विनीता तिग्गा
धरना में अपनी आपबीती सुनाते हुए लातेहार जिले के मनरेगा मेट विनीता तिग्गा, कृपा खाखा व सरिता बेक ने कहा कि उनके इलाके में मजदूर विगत दिसंबर महीने से मनरेगा में काम करना बंद कर दिए हैं. क्योंकि उनको डर है कि पूरे प्रखंड क्षेत्र में मोबाइल नेटवर्क बिल्कुल न के बराबर रहता है. जिसके कारण उनकी हाजिरी नहीं बन पाएगी. उनको मजदूरी भी नहीं मिलेगी. उन्हें मनरेगा में काम करने से वंचित होना पड़ा है. यही हाल पूरे झारखंड का है. पश्चिम सिंहभूम जिले के खूंटपानी प्रखंड के 23 मजदूरों ने बताया कि मोबाइल आधारित हाजिरी दर्ज नहीं होने से उनके 5 सप्ताह के 10 मस्टर रोल जीरो कर दिए गए. उनकी मजदूरी नहीं मिली, जबकि उन लोगों ने वास्तविक योजना स्थल पर कार्य किया है.
लोकसभा में मनरेगा से जुड़े मुद्दे को उठाना हमारी प्रतिबद्धता : सांसद संगीता आजाद
धरना में आजमगढ़ संसदीय सीट से बसपा सांसद संगीता आजाद ने कहा कि मनरेगा में सरकार द्वारा किया जा रहा लगातार हमला चिंता का विषय है. उन्होंने अपने स्तर से लोकसभा में इस मुद्दे को उठाने की प्रतिबद्धता दोहराई. धरना स्थल पर जानीमानी अर्थशास्त्री जयति घोष ने कहा कि ग्रामीण इलाके जहां भुखमरी, गरीबी, बेरोजगारी, पलायन, अशिक्षा जैसी समस्याएं हैं, ऐसे लोगों के लिए ही मनरेगा कानून में 100 दिन रोजगार की गारंटी करते हुए उनको मजदूरी उपलब्ध कराने जैसी एकमात्र साधन को भी वर्त्तमान सरकार छीन लेने को अमादा है. क्योंकि उनको पूंजीपति के लिए सस्ते मजदूर उपलब्ध कराने हैं. इसी प्रकार केंद्रीय रोजगार गारंटी परिषद के पूर्व सदस्य संदीप दीक्षित ने भी आंदोलन का समर्थन किया.
राजनीतिक लड़ाई में राज्य के मनरेगा मजदूर पिस रहे
पश्चिम बंगाल के सामाजिक कार्यकर्ता अनुराधा तलवार ने बताया कि राज्य और केंद्र की राजनीतिक लड़ाई में राज्य के मनरेगा मजदूर पिस रहे हैं. वहां पिछले 16 महीनों से मनरेगा में भुगतान नहीं किया गया है. केंद्र सरकार दावा करती है कि वहां मनरेगा में भ्रष्टाचार बहुत है. इसलिए फंड रोका गया है. यदि ये दावा सही है तो फिर सरकार यह बताये कि अब तक कितने अधिकारियों को इसके लिए सजा दी गई?
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