- अस्पतालों में कर्मियों की कमी से मरीजों की जांच और इलाज हो रहा है प्रभावित
- स्थायीकरण की मांग को लेकर कर्मचारी एकजुट
Ranchi: राज्य में अनुबंध पर काम कर रहे चिकित्सा कर्मी अपनी सेवा स्थायी करने की मांग को लेकर हड़ताल पर हैं. गुरुवार को राजधानी रांची में आंदोलन कर रहे पारा चिकित्सा कर्मियों ने मानव शृंखला बनाकर अपनी एकता का प्रदर्शन किया. तीन दिनों से जारी हड़ताल के कारण राज्यभर में चिकित्सा सेवा चरमरा गई है. स्वास्थ्य केंद्रों का हाल बुरा है. राजधानी रांची सहित जिले व प्रखंडों के सरकारी अस्पतालों में कर्मियों की कमी के कारण मरीजों की जांच और इलाज प्रभावित हो रहे हैं. सरकारी स्तर पर सबकुछ कंट्रोल में है…का राग अलापा जरूर जा रहा है, मगर जमीनी हकीकत कुछ और ही है. आम लोगों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है. अनबंधित चिकित्साकर्मी अपनी सेवा को स्थायी करने की मांग पर अड़े हुए हैं. लेकिन सरकार की ओर से अभी तक कोई पहल नहीं की गई. उधर, कर्मियों का कहना है कि 23 जनवरी से आंदोलन और तेज होगा. शुभम संदेश की टीम ने कर्मियों की हड़ताल और इसकी वजह से राज्यभर में प्रभावित चिकित्सा सेवाओं का जायजा लिया है. प्रस्तुत है विस्तृत रिपोर्ट :
रांची
स्थायीकरण की मांग को लेकर कर्मचारी एकजुट
झारखंड राज्य अनुबंधित पारा चिकित्सा कर्मी संघ और एनआरएचएम एएनएम-जीएनएम अनुबंध कर्मचारी संघ के बैनर तले चिकित्सा कर्मियों के आंदोलन का गुरुवार को तीसरा दिन रहा. सर्द रातों में खुले आसमान के नीचे कर्मचारी स्थायीकरण की मांग को लेकर एकजुट हैं. गौरतलब है कि राज्य भर में एएनएम, जीएनएम, लैब टेक्नीशियन, फार्मासिस्ट, एक्सरे टेक्नीशियन की संख्या करीब 8000 है, जो पिछले 10 से 15 सालों से अनुबंध पर स्वास्थ्य विभाग में अपनी सेवा दे रहे हैं. कोरोना काल में फ्रंटलाइन वर्कर के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले यह सभी कर्मचारी सरकार के रवैया से नाराज हैं. बीते 3 दिनों के बाद भी जब राज्य सरकार के द्वारा कोई पहल नहीं किया गया तो कर्मचारियों ने मानव शृंखला बनाकर अपनी एकजुटता का प्रदर्शन किया.
अनुबंधित चिकित्सा कर्मियों के आंदोलन का तीसरा दिन, परेशान आमजन
18 सालों से नौकरी कर रहे हैं, पर सेवा स्थायी नहीं है
रामगढ़ के तिलेश्वर नायक का कहना है कि वह पिछले 18 सालों से नौकरी कर रहे हैं. मानव शृंखला इसलिए बनाई है ताकि सरकार को दिखा सकें कि उनकी तादाद कितनी है और वह सब एकजुट है. यह मानव शृंखला एकजुटता का प्रतीक है. सरकार जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं करती, तब तक हम लोग इसी तरह से अलग-अलग तरीके से शांतिपूर्ण प्रदर्शन करते रहेंगे.
15 सालों से काम कर रही हूं, पर अबतक स्थायी नहीं हुई सेवा
रामगढ़ की बेबी कुमारी ने कहा कि मैं 15 वर्षों से विभाग के लिए काम कर रही हूं. सरकार के समक्ष हमने कई बार अपनी मांगों को रखा था, पर सरकार हमारी मांगों को हमेशा से अनसुना कर देती है. यह मानव शृंखला सरकार को एकजुटता दिखाने के लिए बनाई जा रही है, ताकि सरकार हमारी एकता को देख सके.
राज्य सरकार अबतक कोई संज्ञान नहीं ले रही है
रांची की मीरा कुमारी का कहना है कि सरकार उनकी मांग के प्रति कोई संज्ञान नहीं ले रही है. इसलिए मानव शृंखला के माध्यम सरकार को बताना चाहती कि उनकी मांगों पर ध्यान दे और उनकी मांग जल्द से जल्द पूरी की जाए. आज हमने अपनी एकजुटता प्रदर्शन किया है. अगर मांगें नहीं मानी गईं, तो आने वाले दिनों में कर्मियों के इस आंदोलन को और तेज किया जाएगा.
विभाग के लिए 14 वर्षों से काम कर रहे हैं, भविष्य अनिश्चित है
रांची की पूनम ने कहा है कि हम लोग विभाग के लिए 14 वर्षों से काम कर रहे हैं, लेकिन सरकार हमारे लिए कभी नहीं सोचती है. हम विवश होकर सड़कों पर उतरे है, ताकि झारखंड की बहरी सरकार हमारी मांगों को सुन सकें. आज की मानव शृंखला सरकार को हमारी एकजुटता दिखाने के लिए बनाई गई है.
मांगें नहीं मानी तो आगे और उग्र आंदोलन किया जाएगा
धरने पर बैठीं पलामू की विनीता कुमारी का कहना है कि ये मानव शृंखला एकजुटता को दिखाने के लिए बनाई गई है, ताकि सरकार साफ-साफ देख सके. हमारी एकजुटता और हमारी मांगों को गंभीरता से लें और जल्द से जल्द नियमित करें. अगर सरकार हमारी मांगों को गंभीरता से नहीं लेती है तो आंदोलन को और उग्र तरीके से किया जाएगा. सरकार जल्द हमारी मांगें माने.
मानव शृंखला हमारी एकजुटता का प्रतीक
खूंटी जिले के शिल्पी कुमारी का कहना है कि सभी नर्सों को नियमित करने की मांग को लेकर हम यह धरना कर रहे हैं. आज की मानव शृंखला हमारे प्रदर्शन का एक हिस्सा है और हमारी एकजुटता दिखाता है. जबतक सरकार हमारी मांग पूरी नहीं करती, तबतक हम लोग इसी तरह के सांकेतिक प्रर्दशन करते रहेंगे.
नियमावली बनाकर हमारी बहाली की जाए
रांची के एडलिन ने कहा कि पिछले 18 सालों से मैं काम कर रही हूं. हमारी मांग है कि 2014 नियमावली के तहत उनकी भी नियमावली बना कर बहाली की जाए. मानव श्रृंखला सरकार को चेतावनी देने के लिए बनाई गई है. अगर सरकार हमें अब भी गंभीरता से नहीं लेगी तो आगे भी हमलोग इस तरह के और भी रचनात्मक प्रर्दशन करते रहेंगे. साथ ही उग्र आंदोलन भी होगा.
मांगें पूरी होने तक आंदोलन चलता रहेगा
सरायकेला खरसावां जिले की प्रीति कुमारी ने कहा कि एक सूत्री मांग और सीधा समायोजन का मांग को लेकर यह आंदोलन चलता रहेगा. मानव शृंखला एकजुटता दिखाने के लिए बनाई गई है. सरकार जबतक हमारी मांग पूरी नहीं करती, तबतक हम प्रर्दशन में इसी तरह के सांकेतिक प्रर्दशन करते रहेंगे.
इस बार सरकार के झूठे आश्वासन को नहीं मानेंगे
गुमला की सुनीता कुमारी का कहना हैं कि वह 16 साल से कार्यरत हैं आगे वह बताती है कि हमने पीछे कई बार अपनी मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन किए थे लेकिन सरकार हर बार झूठे वादे कर कर हमारा प्रदर्शन खत्म करवा देती थी. इस बार के प्रदर्शन में हम यह मानव शृंखला अपनी एकता दिखाने के लिए बना रहे हैं ताकि जो सरकार नींद में सोई हुई है, वह अब जागेगी. हमारी मांग जल्द माने सरकार.
राज्य सरकार हमारी मांगों को गंभीरता से ले
हजारीबाग के शमशाद हुसैन ने कहा कि आज कि मानव शृंखला हमारी एकजुटता और हमारे दृढ़ निश्चय का प्रतीक है. हम काफी समय से अपनी मांगों को लेकर सरकार के समक्ष जाते रहे हैं. लेकिन सरकार हमारी मांगों को कभी तवज्जो नहीं दे रही थीं. हम विवश होकर राजधानी रांची में एकजुट हुए हैंं.
रामगढ़ वैक्सीनेशन कार्य प्रभावित, बिना इलाज कराए लौट रहे मरीज
अनुबंधित पारा चिकित्सा कर्मियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाने से स्वास्थ्य व्यवस्था लोगों की चरमरा गई है. पतरातू सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में अनुबंध पर 18 एएनएम-जीएनएम और पारा मेडिकल कर्मी नियुक्त हैं. सभी के अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाने से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में बच्चों का लगने वाला टीका और महिलाओं की डिलीवरी में काफी परेशानियां हो रही हैं. इस स्वास्थ्य केंद्र में प्रत्येक सप्ताह के गुरुवार और शनिवार को बच्चों का वैक्सीनेशन होता है. गुरुवार को बच्चों को लगने वाले वैक्सीनेशन कार्य की गति काफी धीमी रही. पतरातू सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के एएनएम सुधा कुमारी रानी बताती है कि बच्चों की वैक्सीनेशन , महिलाओं की डिलीवरी, दुर्घटना से आए मरीजों की प्राथमिक उपचार से लेकर कई तरह के कार्य हम लोग अस्पताल में करते हैं. हम लोगों की हड़ताल में जाने से अस्पताल की कई कार्य प्रभावित हुआ होगा. अस्पताल में सिर्फ 5 स्थाई एएनएम है, जो इस समय अस्पताल के कई कार्यों को देख रहे होंगे. मरीजों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा होगा. सरकार को चाहिए कि हमारी मांगों को जल्द से जल्द पूरा करे.
लातेहार :
आंदोलन को कुचलना चाह रही सरकार
झारखंड अनुबंधित पारा चिकित्साकर्मी संघ एवं एएनएम व जीएनएम संघ के संयुक्त तत्वावधान में सीधी समायोजन की मांग को लेकर अनुबंध चिकित्सा कर्मी तीसरे दिन भी हड़ताल में रहे. अनुबंध चिकित्सा कर्मी सिविल सर्जन कार्यालय के समक्ष धरना पर बैठे रहे. इस दौरान उन्होने झारखंड सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और उनकी सेवा नियमित करने की मांग की. हड़ताल के कारण अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाएं बाधित हो गयी हैं. खासकर प्रसव, टीकाकरण व जांच की सेवाएं काफी प्रभावित हुई हैं.
विरोध कर रहे कर्मियों पर एफआईआर हुई है
झारखंड अनुबंधित पारा चिकित्साकर्मी संघ के प्रदेश अध्यक्ष सह ब्लड बैंक लातेहार के तकनीकी सहायक विनय कुमार सिंह ने शुभम संदेश से कहा कि कर्मियों के आंदोलन को कुचलना चाहती है सरकार. तभी तो विरोध प्रदर्शन कर रहे कर्मियों पर मुकदमा दायर कराया गया है.
सरकार सौतेला व्यवहार कर रही है
अनुबंध चिकित्सा कर्मी संघ, लातेहार के अमरेंद्र कुमार ने कहा कि विकट परिस्थितियों में भी कर्मियों ने सरकार की योजनाओं को सफल बनाया है. फ्रंटलाइन वर्कर के रूप में वैश्विक महामारी कोरोना पर विजय प्राप्त की है. लेकिन उनके साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है. अल्प मानदेय में परिवार का भरण पोषण व बच्चों को बेहतर शिक्षा ग्रहण नहीं करा पा रहे हैं.
गिरिडीह :
हड़ताल से स्वास्थ्य सेवा पर असर
अनुबंधित पारा चिकित्साकर्मी संघ एवं एएनएम जीएनएम कर्मी संघ के संयुक्त तत्वावधान में 19 जनवरी से गिरिडीह में भी अनुबंधित पारा चिकित्साकर्मियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू हुई. चिकित्साकर्मी कामकाज छोड़कर सदर अस्पताल परिसर में धरना पर बैठ गए. सीएम की यात्रा को देखते हुए सिविल सर्जन के आग्रह पर इन कर्मियों ने दो दिनों के लिए आंदोलन को स्थगित रखा. हड़ताल के कारण टीकाकरण पर असर पड़ा. वैक्सीनेशन काउंटर पर कई लोग आए पर उन्हें लौटना पड़ा.
मांग नहीं माने जाने तक हड़ताल पर डटे रहने की चेतावनी
डॉक्टरों के काम पर रहने से मरीजों को इलाज कराने में दिक्कत नहीं हुई. सदर अस्पताल परिसर में एसआरएल कंपनी की जांच घर रहने के कारण जांच कराने आए मरीजों को भी दिक्कत नहीं हुई. अध्यक्षता कर रहे संघ के जिलाध्यक्ष शंभू महथा ने कहा कि सरकार से एक सूत्री मांग स्थायीकरण की है. जब तक कर्मियों को स्थाई नहीं किया जाएगा तबतक आंदोलन जारी रखा जाएगा.
वैकल्पिक व्यवस्था का किया गया है दावा
सदर अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. एसपी मिश्रा ने कहा कि हड़ताल का असर स्वास्थ्य सेवा पर पड़ा है. सदर अस्पताल में लेबर रूम, कोविड वैक्सीनेशन व बच्चों के टीकाकरण प्रभावित हुआ है. मरीजों को इलाज में दिक्कत न हो इसके लिए वैकल्पिक व्यवस्था की गई है. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थापित कर्मियों को सदर अस्पताल बुलाया गया है.
जमशेदपुर
शहर में ठीक-ठाक, पर ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य व्यवस्था चरमराई
पूर्वी सिंहभूम जिले में अनुबंध पारा चिकित्सा कर्मियों की हड़ताल गुरुवार को तीसरे दिन भी जारी रही. हड़ताल के कारण स्वास्थ्य व्यवस्था प्रभावित हुई है. खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में पीएचसी में चिकित्सक के अलावे कोई स्टाफ नहीं है. पीएचसी में पदस्थापित स्थायी स्टाफ (एएनएम व जीएनएम) को सदर व एमजीएम अस्पताल बुला लिया गया. इसके कारण पीएचसी में मरीजों का टीकाकरण, बंध्याकरण बंद है. मरीज भी गिने-चुने ही वहां जा रहे हैं. इसके कारण सदर व एमजीएम अस्पताल पर अतिरिक्त बोझ बढ़ गया है. विभाग की माने तो सदर में प्रतिदिन औसतन 600 और एमजीएम अस्पताल में 1000 से ज्यादा मरीज ओपीडी में चिकित्सक को दिखला रहे हैं. जबकि हड़ताल के पहले यह आंकड़ा 400 व 700 के आस-पास था.
सीएम व स्वास्थ्य मंत्री के खिलाफ की नारेबाजी
स्थायीकरण की मांग को लेकर आंदोलनरत अनुबंध पारा चिकित्साकर्मियों ने गुरुवार को खासमहल स्थित सिविल सर्जन कार्यालय का घेराव किया. कार्यालय के मुख्य गेट पर धरना पर बैठे स्वास्थ्यकर्मियो ने इस दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन एवं स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के खिलाफ नारेबाजी की. अनुबंध पारा स्वास्थ्यकर्मी संघ के जिला अध्यक्ष कृष्णा चंद्र महतो ने बताया कि आंदोलन के कारण स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई है. लेकिन सरकार को अनुबंध चिकित्साकर्मियों की कोई चिंता नहीं है. उन्होंने कहा कि जब तक मांगे नहीं मानी जाएगी, हड़ताल जारी रहेगी. हड़ताल में जिले के अलग-अलग प्रखंडों के अनुबंध पारा स्वास्थ्यकर्मी पहुंच रहे हैं. शाम चार बजे तक धरना देने के बाद सभी अपने-अपने घर लौट जाते हैं.
स्वास्थ्य सेवा पूरी तरह फंक्शनल, तैयारी पूरी है
जिले के सिविल सर्जन डॉक्टर जुझार माझी ने बताया कि अनुबंध पारा चिकित्सा कर्मियों की हड़ताल के कारण ग्रामीण क्षेत्र की स्वास्थ्य व्यवस्था पर आंशिक असर पड़ा है, लेकिन शहर में दोनों अस्पताल पूरी तरह फंक्शनल हैं. किसी मरीज को लौटना नहीं पड़ रहा है. किसी को कोई परेशानी नहीं हो रही है. न्होंने कहा कि अनुबंध चिकित्साकर्मियों की मांग सरकार के स्तर की है. इसलिए वे चाहकर भी कुछ नहीं कर सकते. हालांकि उन्होंने जनहित को ध्यान में रखते हुए आंदोलन वापस लेने की अपील की.
कर्मचारी महासंघ आंदोलन का जल्द लेगा निर्णय
झारखंड राज्य अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ पूर्वी सिंहभूम जिला इकाई के अध्यक्ष संतलाल झा ने बताया कि अनुबंध पारा चिकित्सा कर्मियों की आंदोलन को महासंघ का समर्थन है. जल्द ही महासंघ की बैठक में हड़ताल पर जाने अथवा नहीं जाने का निर्णय लिया जाएगा. उन्होंने कहा कि अगर स्थायी कर्मचारी आंदोलन पर चले गए तो पूरे राज्य की चिकित्सा व्यवस्था ठप हो जाएगी. इसकी जिम्मेवारी सरकार पर होगी. ऐसे में सरकार को अनुबंध पारा चिकित्साकर्मियों की मांगों पर सहानुभूति पूर्वक विचार करना चाहिए.
10 वर्षों बाद ही सेवा स्थायी करने का है प्रावधान
एएनएम-जीएनएम अनुबंध कर्मचारी संघ की सक्रिय सदस्य सूरजमनि मुर्मू ने बताया कि सरकार लंबे समय से अनुबंध पर स्वास्थ्य कर्मियों की सेवा ले रही है. लेकिन 12 हजार से 15 हजार रुपये मानदेय दे रही है. जिससे घर परिवार चलाना मुश्किल हो रहा है. इतनी कम राशि में गुजारा मुश्किल हो रहा है. उन्होंने कहा कि सरकार इससे पहले के अनुबंध पर बहाल स्वास्थ्यकर्मियों को स्थायी कर चुकी है. इसलिए हमे में उस दायरे में लाया जाय, अन्यथा आंदोलन जारी रहेगा. आंदोलन अब और तेज किया जाएगा.
लैब टेक्नाीशियन को नहीं मिलता उचित मानदेय
गोविंदपुर पीएचसी में पदस्थापित लैब टेक्नीशियन अरुण कुमार ने बताया कि लैब टेक्नीशियन को उचित मानदेय नहीं मिलता है. वर्षों से अनुबंध का विस्तार करके कार्य लिया जा रहा है. उम्र बीत जाने के बाद कोई पूछेगा नहीं. इसलिए सरकार को 10 वर्षों से ज्यादा समय से सेवा दे रहे अनुबंध पारा चिकित्साकर्मियों को स्थायी करना चाहिए. अगर ऐसा नहीं हुआ और हमारी नौकरी चली गई तो परिवार कैसे चलेगा. इसी चिंता में घुटते रहते हैं. हमने सरकार का साथ मुश्किल समय में दिया है. सरकार हमारा भी साथ दे.
कठिन परिस्थितियों में करते हैं काम
पूर्वी सिंहभूम जिले के पोटका पीएचसी में पदस्थापित एएनएम संगीता कुमारी ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्र में पदस्थापित चिकित्साकर्मियों को कठिन परिस्थितियों में काम करना पड़ता है. जोखिमपूर्ण काम के एवज में न्यूनतम मानदेय दिया जाता है. उन्होंने बताया कि स्वास्थ्यकर्मियों के स्थायीकरण की मांग कोई नई नहीं है. इसको लेकर हम कई बार आंदोलन कर चुके हैं, पर हर बार सिर्फ आश्वासन ही मिला. पूर्व में बहाल टेक्नीशियन व फार्मासिस्ट को स्थायी किया गया है. ऐसे में सरकार हमारी मांगों पर विचार कर हमें स्थायी करे.
हजारीबाग :
कैसे चले परिवार, वेतनमान देकर स्थायी करे सरकार
राज्य भर के अनुबंध पारा चिकित्सा कर्मी हड़ताल पर हैं. नर्सें भी हड़ताल पर हैं. इससे हजारीबाग शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में इलाज प्रभावित हो गया है. यहां मरीजों के इलाज की वैकल्पिक व्यवस्था तो नहीं की गई है, लेकिन मानवीय संवेदनाओं के नाते हड़ताली कर्मियों से ही स्वास्थ्य सेवा देने का आग्रह किया गया है. वैसे अस्पताल से बिना इलाज कराए कई मरीज लौट भी रहे हैं. हड़ताली स्वास्थ्यकर्मियों का कहना है कि आखिर घर-परिवार कैसे चलाएं. सरकार मानदेय खत्म कर वेतनमान दे और सेवा स्थायी करे.
तीसरे दिन भी धरने पर बैठे रहे स्वास्थ्यकर्मी स्थायीकरण के लिए की आवाज बुलंद
झारखंड अनुबंधित पारा चिकित्सा कर्मचारी और एएनएम जीएनएम संघ के राज्य स्तरीय कमेटी के निर्णयानुसार तीसरे दिन भी गुरुवार को अनुबंध आधारित सेवा दे रहे स्वास्थ्यकर्मी धरने पर बैठे रहे. सभी स्थायी सेवा के लिए अपनी आवाज बुलंद करते रहे. धरना जिला उपसचिव सह राज्य कमिटी सदस्य शमशाद हुसैन की अगुवाई में सिविल सर्जन कार्यालय हजारीबाग के समक्ष जारी रहा. धरने को झारखंड चिकित्सा एवं जन स्वास्थ्य कर्मचारी संघ जिला शाखा हजारीबाग के अध्यक्ष और मंत्री ने संबोधित किया. हजारीबाग के सभी प्रखंड से एएनएम, जीएनएम, लैब टेक्नीशियन, फार्मासिस्ट, एक्स-रे टेक्नीशियन, नेत्र सहायक आदि ने भी स्थायी सेवा की मांग की. स्वास्थ्यकर्मियों ने बताया कि 23 जनवरी तक मांगें पूरी नहीं हुईं, तो 24 से सभी आमरण अनशन पर चले जाएंगे. मौके पर संघ के संरक्षक केडी सिंह, विमल किशोर सिन्हा, जिला उपसचिव एव राज्य कमिटी सदस्य शमशाद हुसैन, विनय कुमार आदि मौजूद रहे.
प्रयास है कि मरीजों को लौटने नहीं दें : सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ सरयू प्रसाद सिंह ने कहा कि प्रयास है कि इलाज प्रभावित नहीं हो और मरीजों को लौटने नहीं दिया जाए. वैसे अनुबंध पर काम कर रहे स्वास्थ्यकर्मियों के हड़ताल पर चले जाने से चिकित्सा व्यवस्था प्रभावित हुई है. वैकल्पिक व्यवस्था आसान नहीं है. ऐसे में हड़ताली कर्मियों से ही मानवीय संवेदनाओं की दुहाई देते हुए चिकित्सा सेवा में सहयोग का आग्रह किया गया है. मरीजों का इलाज चल रहा है. हालांकि कई मरीज बगैर इलाज के भी लौट रहे हैं.
हर पल नौकरी जाने का बना रहता है डर
जीएनएम आरती कुमारी कहती हैं कि सेवा स्थायी नहीं होने से हर पल नौकरी चले जाने का डर रहता है. 18 साल के बाद भी सरकार ने सेवा स्थायी नहीं की है. गुहार लगाते-लगाते थक चुकी हैं. काम के अनुरुप वेतन भी नहीं मिलता है. ऐसे में आंदोलन ही के अलावा कोई विकल्प ही नहीं बचा है. इस बार हम आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं. आंदोलन और तेज किया जाएगा.
हमारी सेवा स्थायी हो जाती, तो सुरक्षित महसूस करते
हजारीबाग शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल के गेट के सामने हड़ताल पर बैठे टेक्नीशियन संतोष कुमार कहते हैं कि सेवा स्थायी हो जाती, तो नौकरी के मामले में खुद को सुरक्षित महसूस करते. वर्षों से लैब टेक्नीशियन, फार्मासिस्ट, एएनएम, जीएनएम सभी अनुबंध पर काम कर रहे हैं. उनलोगों की बस एक ही मांग है सेवा स्थायी हो और समायोजन हो.
हमारा मानदेय खत्म कर वेतनमान दे सरकार
एएनएम विनीता कुमारी कहती हैं कि सरकार सेवा स्थायी करे और मानदेय की जगह वेतनमान मिले. इसी आस में अनुबंध पर काम करते-करते 15 वर्ष गुजर गए. सब काम हो रहा है, तो फिर सरकार को सेवा स्थायी करने में क्या जाता है. कब तक वे लोग अनुबंध पर काम करेंगी. नौकरी कब सुरक्षित होगी, इसको लेकर हमेशा संशय बना रहता है. शायद आंदोलन से कुछ हल निकले.
आगे अब आमरण अनशन होगा, पीछे हटने वाले नहीं हैं
लैब टेक्नीशियन विनय कुमार कहते हैं कि मांगें पूरी होने तक आंदोलन जारी रहेगा. अब आमरण अनशन होगा. गुहार लगाते-लगाते वर्षों बीत गए. अब धैर्य जवाब दे रहा है. ऐसे में सरकार ने आंदोलन के सिवाय कोई विकल्प नहीं छोड़ा है. अनुबंधकर्मियों के प्रति सरकार कभी गंभीर नहीं है. बस काम लेने से मतलब है. सरकार को उनलोगों का परिवार कैसे चले, इसकी फिक्र नहीं है.
भविष्य के लिए आंदोलन करना हमलोगों की मजबूरी है
स्वास्थ्यकर्मी विनोद साहू कहते हैं कि आंदोलन करना उनलोगों की मजबूरी है. सरकार ने कोई रास्ता ही नहीं छोड़ा है. जब तक उनलोगों की मांगें पूरी नहीं होती, तब तक आंदोलन करते रहेंगे. सरकार से गुहार लगाने से अब तक कोई फायदा नहीं हुआ. आज भी अस्थायी सेवा का दंश झेल रही हैं. काम में जब कोई कमी नहीं है, तो सेवा स्थायी क्यों नहीं की जाती है.
धनबाद :
चिकित्सा कर्मी हड़ताल पर, सांसत में मरीज की जान
धनबाद में भी स्थायीकरण की मांग लेकर अनुबंधित पारा चिकित्सा कर्मी पिछले 17 जनवरी से हड़ताल पर हैं. हड़ताल में अस्पताल की नर्सें भी शामिल है. अनुबंध कर्मचारियों की हड़ताल से इलाज व्यवस्था पर गहरा असर पड़ा है. मरीजों को बिना जांच कराए घर लौटना पड़ रहा है. जानकारी के अनुसार सदर अस्पताल में एनआरएचएम, एएनएम, जीएनएम मिलाकर कुल 20 कर्मचारी तो एसएनएमएमसीएच के कुल 22 कर्मी हड़ताल पर हैं. जिले भर में 600 कर्मी हड़ताल में शामिल है. कई विभागों में जांच कराने आ रहे मरीजों को बैरंग लौटना पड़ रहा है. निरसा के कोलियासोल से संतोष ठाकुर फाइलेरिया की दवा लेने पहुंचे थे. हड़ताल पर रहने के कारण उन्हें बिना दवा लिए लौटना पड़ा. कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं है. अस्पताल के पास अपने स्टाफ के अलावा डीएमएफटी के स्टाफ हैं.
चाकुलिया :
हड़ताली पारा चिकित्सा कर्मियों ने दिया धरना
चा कुलिया सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के पारा चिकित्सा कर्मी नियमितीकरण की मांग पर अनिश्चितकालीन हड़ताल कर रहे हैं. गुरुवार को स्वास्थ्य कर्मियों ने झारखंड अनुबंध कर्मचारी एएनएम, जीएनएम एवं पारा मेडिकल कर्मचारी संघ के बैनर तले सीएससी परिसर में धरना दिया और नारेबाजी की. एएनएम के हड़ताल पर जाने से प्रखंड के कई उप स्वास्थ्य केंद्र बंद हो गए हैं. नियमित टीकाकरण कार्य भी ठप हो गया है. अन्य स्वास्थ्य सेवाएं भी प्रभावित हुई हैं. धरना पर सुनीता बारिक, दीपिका महतो, शाइवा महतो, संदना सीट, रीता कुमारी, किरण देवी समेत अन्य बैठी हैं. चाकुलिया सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 21 एएनएम, एक जीएनएम और 2 एलटी हड़ताल पर हैं. हड़ताली स्वास्थ्य कर्मियों ने कहा कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं हुई तो 24 जनवरी से भूख हड़ताल की जाएगी.
साहिबगंज :
मांगों को लेकर बेमियादी धरने पर बैठे कर्मी
गुरुवार को सिविल सर्जन कार्यालय के पास अनुबंधित पारा चिकित्सा कर्मी स्थायीकरण की मांग को लेकर धरना गुरुवार को भी जारी रहा. अनुबंधित पारा चिकित्सा कर्मी पिछले 17 जनवरी से हड़ताल पर हैं. इस हड़ताल में जिला के सभी एएनएम, लैब टेक्नीशियन, फार्मासिस्ट,एवं पारा चिकित्सा कर्मी सिविल सर्जन कार्यालय के समक्ष अनिश्चितकालीन धरना पर बैठे हुए हैं. वहीं अनुबंध पारा चिकित्सा कर्मी कर्मचारियों के हड़ताल पर चले जाने से जिले के सभी स्वास्थ केंद्र अस्पताल में इलाज व्यवस्था पर गहरा असर पड़ा है.
वहीं, बोरियो प्रखंड स्वास्थ्य केंद्र के एएनएम सेफाल सोरेन ने प्रेस को बताया कि जिला सदर अस्पताल साहिबगंज में एएनएम, जीएनएम, लैब टेक्नीशियन, फार्मासिस्ट, पारा चिकित्सा कर्मी मिलाकर 350 कर्मचारी हड़ताल पर हैं. उन्होंने यह भी कहा कि हम लोगो की मांग सरकार से है कि हमलोगों को समायोजन करे, क्योंकि अभी हमलोग अलवेतन भोगी है,उन्होंने कहा कि अगर सरकार हम लोगो की मांगे पूरी नही करती है,तो हम सभी अनुबंध पारा चिकित्सा कर्मीगण, 24 जनवरी से आमरण अनशन पर चले जाएंगे. वहीं अनुबंध कर्मचारियों के हड़ताल पर चले जाने से टीबी विभाग, एक्स-रे, टीकाकरण, वैक्सीनेशन, ओटी, नेत्र जांच, लैब टेक्नीशियन, आरएमटीसी, मलेरिया, फाइलेरिया, टीईटीसी, एड्स, फार्मेसी सहित कई विभागों में जांच कराने आ रहे मरीजों को बेरंग वापस लौटना पड़ रहा है.वही साहिबगंज सदर अस्पताल प्रबंधन के पास भी इस समस्या का कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं है. वहीं, अस्पतालों में वैकल्पिक व्यवस्था पर साहिबगंज सिविल सर्जन डॉक्टर रामदेव पासवान से फोन पर संपर्क करने की कौशिक की गई, मगर संपर्क नही हो पाया. इस धरना में मौजूद एएनएम संघ की अध्यक्ष बबीता कुमारी, मो. अजहर, शंभू झा, स्वेतंबर कुमार, विजय यादव, मो. इमरान, आरती सिन्हा,अन्ना मुर्मू, शबनम कुमारी, क्रिस्टीना सहित अन्य लोग मौजूद थे.