Ranchi : रांची विश्वविद्यालय के जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग अंतर्गत विभागवार कमरे बंटवार और विभाग में भाषा बंटवारे के विवादों का निपटारा कर लिया गया है. संथाली भाषा के प्रतिनिधि विंसेंट ने बताया कि जनजातीय भाषाओं में तीन मुख्य भाषाएं होती हैं, जिसमें आर्य, अग्नय और द्रविड़ भाषा शामिल हैं. आर्य भाषा अंतर्गत नागपुरी, कुरमाली, पंचपरगना और खोरठा आते हैं. वही अग्नय भाषा के अंतर्गत मुंडारी, हो, संथाली, खड़िया भाषा आते हैं और द्रविड़ भाषा के अंतर्गत कुरुख भाषा को रखा गया था. हो और संथाली भाषा द्रविड़ भाषा के साथ रखा गया था, जबकि संथाली और हो भाषा अग्नय भाषा के अधीन होने चाहिए थे.
हो और संथाली के लिए अलग से कमरा आवंटित
शनिवार को विभाग में विवाद उठने लगा और विवादों का निपटारा के लिए विश्वविद्यालय के प्रतिनिधियों के साथ विभाग के अध्यक्ष डीएन साहू समेत विभाग के कई प्रोफेसरों की अध्यक्षता में बैठक हुई. बैठक के बाद कमरा आवंटन और भाषा विवाद का मामला सुलझा लिया गया. साथ ही हो और संथाली के लिए अलग से कमरा भी आवंटित कर दिया गया. जिसके बाद विवाद का निपटारा हो पाया है. साथी सभी नौ भाषाओं के लिए स्वतंत्र रूप से अलग अलग विभाग बनाए गए हैं. इसके लिए सभी प्रधानाध्यापकों ने विश्वविद्यालय प्रशासन को धन्यवाद दिया है.विभाग अलग- अलग होने से सभी भाषाओं में स्वतंत्र रूप से शिक्षण एवं शोध कार्य सुचारू ढंग से किए जा सकेंगे.
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