Ranchi : चार दिवसीय महापर्व छठ का आज तीसरा दिन है. चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को पहला अर्घ्य दिया जाता है. इस दिन व्रती अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देते हैं. आज सूर्योदय 05 बजकर 29 मिनट पर हुआ. वहीं सूर्यास्त का समय शाम 06 बजकर 10 मिनट पर है. इसके बाद 15 अप्रैल को उदीयमान सूर्यदेव को अर्घ्य दिया जायेगा. इस दिन सूर्योदय 05 बजकर 28 मिनट पर होगा. इसके बाद व्रती के पारण के साथ चार दिवसीय महापर्व छठ का समापन होगा.
तांबे लोटे में दूध व गंगा जल मिलाकर सूर्य देवता को देना चाहिए अर्घ्य
पहला अर्घ्य के दिन अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. व्रती दिन भर निर्जला व्रत रखते हैं और शाम में किसी तालाब, नदी या जलकुंभ में जाकर सूर्य की उपासना करते हैं. इसके बाद डूबते हुए सूर्य को दूध और पानी से अर्घ्य देते हैं. शास्त्रों के अनुसार, तांबे के लोटे में दूध और गंगा जल मिलाकर सूर्य देवता को अर्घ्य देना चाहिए.
केवल छठ में होती है डूबते सूर्य की उपासना
बता दें कि अस्ताचलगामी यानी डूबते सूर्य की उपासना केवल छठ पूजा में ही होती है. ऐसा माना जाता है कि इस समय सूर्य अपनी दूसरी पत्नी प्रत्यूषा के साथ रहते हैं. इसीलिए प्रत्यूषा को अर्घ्य दिया जाता है. शाम के समय सूर्य की आराधना से जीवन में संपन्नता आती है. अस्त होते सूर्य को अर्घ्य देने से हर तरह की परेशानी दूर होती है.
उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ समाप्त होता है महापर्व
छठ महापर्व चार दिनों तक चलने का पर्व है. पहले दिन नहाय-खाय होता है. वहीं दूसरे दिन खरना होता है. इस दिन व्रती दिनभर व्रत रखती है और खरना का प्रसाद बनाती हैं. शाम में पूजा के बाद प्रसाद (खीर) ग्रहण करती हैं. इसके बाद 36 घंटे का निर्जला व्रत आरंभ होता है. व्रती पारण के बाद ही अन्न-जल ग्रहण करती हैं. तीसरे दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. जबकि चौथे दिन यानी चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को उदियमान सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है.