Dhanbad : नौकरी की मांग को लेकर झमाडा के पूर्व कर्मियों के आश्रित पिछले 3 महीने से बेमियादी धरना पर बैठे हैं. लेकिन प्रबंधंन ने उनकी मांगों की पूर्ति के लिए कोई पहल नहीं की है. आश्रितों को अबतक सिर्फ आश्वासन ही मिलता रहा है. धनबाद (Dhanbad) स्थित झमाडा कार्यालय के बाहर धरना पर बैठे महेंद्र राम का 10 वर्ष का बेटा मंजीत भी आंदोलन में पिता का साथ दे रहा है. पिछले एक महीने से वह भी धरने पर डाटा है. लागातार रिपोर्टर ने 28 मई को मंजीत बातचीत की. मंजीत ने बताया कि वह अपने पिता महेंद्र राम के साथ धरने पर बैठ उनका हौसला बढ़ा रहा है. 3 महीने गुजर गए, लेकिन झमाडा प्रबंधन की ओर से अब तक कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला है. वह पिता के साथ धरने पर बैठकर प्रबंधन को आईना दिखा रहा है. उसने कहा कि यह हमारे हक की लड़ाई है और अंतिम दम तक लड़ने को तैयार हैं.
मंजीत के दादा स्वर्गीय सोहराय राम झमाडा में गार्ड के पद पर कार्यरत थे. वर्ष 2016 में उनकी मृत्यु हो गई. इसके बावजूद सउके पिता महेंद्र राम को अब तक विभाग ने अनुकंपा पर नौकरी नहीं दी है. अंततः अपने दादा और अपने पिता के हक की लड़ाई में उसे भी कूदना पड़ा.
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