1997 में हुई थी पहली बैठक, रेलवे अधिकारियों ने कहा था कई वर्षों तक आग से खतरा नहीं
Dhanbad : धनबाद-चंद्रपुरा रेल लाइन के नीचे भूमिगत आग का जिन्न फिर बाहर निकल आया है. जिला प्रशासन, बीसीसीएल व रेलवे अधिकारियों की टीम ने इससे निपटने के लिए कवायद शुरू कर दी है. डीसी लाइन के डायवर्सन के लिए धनबाद-गोमो के बीच मतारी से तेलो-दुग्दा के रास्ते रेल लाइन बिछाना है, ताकि डीसी लाइन की ट्रेनों को मतारी-दुग्दा-तेलो होकर चलायी जा सके. हालांकि इस योजना को हरी झंडी मिलने का इंतजार है. रेलवे सूत्रों के अनुसार आग से खतरा बता कर हुए डीसी रेल लाइन के डायवर्सन के लिए पिछले 27 साल में जिला प्रशासन, रेलवे, बीसीसीएल व डीजीएमएस के अधिकारियों की टीम धनबाद, पटना, रांची व दिल्ली में 193 बैठकें कर चुकी है. लेकिन अब तक नतीजा शून्य रहा है.
20 महीने तक परिचालन किया गया था बंद
रेलवे सूत्रों के अनुसार वर्ष 2017 में जनवरी से मई तक लगातार हर सप्ताह धनबाद से दिल्ली तक बैठकें हुईं. रेल व कोल मंत्रालय की ओर से रेलवे, राइट्स, बीसीसीएल, डीजीएमएस, सिंफर की जांच रिपोर्ट मांगी गई. डीजीएमएस की रिपोर्ट पर मुहर लगी. उसके बाद 15 जून 2017 से 26 जोड़ी ट्रेनों व मालगाड़ियों के परिचालन को बंद कर दिया गया. परिचालन बंद होने से धनबाद में आंदोलन शुरू हो गया. कई महीनों तक आंदोलन चला. इसी बीच लोकसभा चुनाव की घोषणा हो गई, तो कानपुर से अचानक रेलवे के संरक्षा विभाग की टीम आई और जांच कर डीसी लाइन को आग से खतरा नहीं बताकर ट्रेन चलाने की अनुमति दे दी. तत्कालीन डीआरएम एमके अखौरी ने कहा था कि रेलवे लाइन को आग से खतरा नहीं है.
मतारी से दुग्दा-तेलो होकर रेललाइन बिछाने की बन रही रणनीति
28 सितंबर को जिला प्रशासन, बीसीसीएल व रेलवे के अधिकारियों ने बैठक की और राइट्स से डीपीआर मांग कर मतारी से दुग्दा-तेलो होकर रेललाइन बिछाने की रणनीति बनायी. आग से खतरा बताते हुए कोल साइडिंग को दूसरी जगह शिफ्ट करने की बात कही गई. अभी धनबाद से चंद्रपुरा के बीच 13 स्टेशन व हॉल्ट हैं. रेलवे सूत्रों के अनुसार डीसी रेललाइन के बीच सिजुआ, बांसजोड़ा व अंगारपथरा स्टेशन के निकट रेल लाइन को आग से सबसे अधिक खतरा है. यहां रेलवे लाइन से 25 से 30 फीट की दूरी पर जमीन के नीचे से धुआं निकलता है. भूधंसान व अग्नि प्रभावित क्षेत्र में डीसी रेल लाइन के किनारे लगभग एक दर्जन साइडिंग हैं, जिसे बीबीसीएल के अधिकारी बंद करना चाह रहे हैं. सिंफर व डीजीएमएस की जांच रिपोर्ट के बाद ही निर्णय लिया जाएगा. डीआरएम केके सिन्हा से बात करने की कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया.