Putki : पुटकी (Putki) भगवान का नाम,रूप,लीला व धाम को आचरण में धारण करने से मनुष्य का कल्याण हो जाता है. उक्त बातें सुरेंद्र हरिदास ने श्रीमद् भागवत कथा के आठवें दिन प्रवचन के दौरान कही. उन्होंने कहा कि आज व्यक्ति आध्यात्मकि लोगों का मजाक उड़ा रहा है. कथा सुनने का कोई समय नहीं होता. कथा का श्रवण तो पेट में ही कर लेना चाहिए, लेकिन आज अज्ञानी व्यक्ति सिर्फ पैसा कमाने, आलीशान जीवन व्यतीत करने में व्यर्थ समय गंवा रहा है.
जीवन में हमेशा अच्छे कर्मों की पूंजी बनाए रखना चाहिए. सच्चा व्यक्ति वही है जो किसी के काम आए, दूसरों के दुखों को जो अपना समझे. कलयुग में व्यक्ति दिखावे की जिंदगी जी रहा है. दो चेहरे के साथ यदि मनुष्य जीवन गुजर बसर करेगा तो उसे भगवान की प्राप्ति कभी नहीं हो सकती. यदि ठाकुर जी को पाना है तो व्यक्ति को अंदर से शुद्ध होना ही पड़ेगा. कथा को सफल बनाने में जितेन्द्र सिंह, राजू सिंह, गोपाल गौराई, अरुण कुमार सिंह, बबलू मोदक, राजेश सिंह, जितेन्द्र शर्मा,पूर्व मुखिया जितेन्द्र सिंह ,कैलाश प्रसाद राय, विजय पासवान, अमरजीत पासवान, हरिवंश राजभर, राजेश त्रिपाठी, विपिन कुमार, गणेश यादव, ताराचंद यादव, मन्नू यादव, पप्पु दशोंधी, कपिल देव महतो, कुंदन शर्मा, विरेन्द्र पाल आदि सक्रिय थे.