Dhanbad : धनबाद (Dhanbad) ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस, (एआईटीयूसी) यानी ऐटक अब अतीत के भरोसे जीवित है. यूनियन के झारखण्ड प्रदेश उप महामंत्री लखनलाल महतो को संग़ठन के अतीत की हर बात याद है. बावजूद वर्तमान में खासकर कोयला क्षेत्र में संग़ठन की भूमिका पर खुलकर कुछ भी बोलने से उन्हें परहेज है.
ऐटक सभी यूनियनों की जननी
उन्होंने कहा एआईटीयूसी सभी यूनियनों की जननी है. देश की आजादी की लड़ाई से लेकर मजदूरों के शोषण और उनके अधिकार की लड़ाई लड़ने में यूनियन ने अहम भूमिका निभाई. आज देश में एआईटीयूसी से जुड़ी 4 हजार यूनियनें हैं. कोयला, रेल, इस्पात सहित अन्य सभी बड़े उद्योगों में एटक का यूनियन है. धनबाद में बीसीसीएल के 12 एरिया हैं. लगभग सभी एरिया में संग़ठन काम कर रहा है. हालांकि धनबाद में संग़ठन से जुड़े लोगों की वास्तविक संख्या की जानकारी उन्हें नहीं है.
संग़ठन का इतिहास
यूनियन के झारखंड प्रदेश उप महामंत्री ने बताया कि वर्ष 31 अक्टूबर 1920 को बाम्बे वर्तमान मुम्बई में इस यूनियन का गठन हुआ. यूनियन के गठन का मुख्य उद्देश्य मजदूरों को शोषण से मुक्त कराना तथा भारत को आजादी दिलाना था. इसका फायदा भी हुआ. लाला लाजपत राय से लेकर सुभाषचंद्र बोस, पंडित जवाहर लाल नेहरू, वीवी गिरि संगठन के अध्यक्ष रह चुके हैं. वर्तमान में एआईटीयूसी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रमेंद्र कुमार हैं.
सिर्फ 2020 में मिली सफलता
पिछले एक साल की बात करें तो धनबाद सहित देश के सभी ट्रेड यूनियनों के आंदोलन में एआईटीयूसी ने अहम भूमिका निभाई है. 2,3, और 4 जुलाई 2020 को मर्शियल माइनिंग के खिलाफ देश की चार मान्यता प्राप्त यूनियनों के साथ एआईटीयूसी ने आंदोलन किया था. जिसमें वह सफल रही.
आय व्यय का दिया हिसाब
आय व्यय का मुख्य स्रोत वार्षिक सदस्यता शुल्क है. 100, 200, 250, 300 रुपये तक शुल्क जरूरत के हिसाब से लिया जाता है. आय का अन्य कोई स्रोत नहीं है. पूरे देश में इस संग़ठन से 1 करोड़ लोग जुड़े हुए हैं. देश में अभी तक मजदूरों हित के लिये जितने संग़ठन काम कर रहे हैं, सभी एआईटीयूसी के बाद ही बने हैं.
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