Dhanbad : बीसीसीएल की बंद खदानों में अब मत्स्य विभाग का मछली पालन का सपना पूरा होनेवाला नहीं है. बीसीसीएल मत्स्य विभाग को एनओसी देने को तैयार नहीं है. बीसीसीएल की मंशा बंद खदानों से कोयला निकालने की है. इसीलिए मछली पालन की इजाजत देने से झिझक रहा है.
स्थानीय युवाओं को रोजगार देने का था लक्ष्य
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत मत्स्य विभाग ने बीसीसीएल की वैसी खदानों को चिन्हित कर मछली पालन की योजना बनाई थी, जिन्हें बंद किया जा चुका है और उस खदान में पानी भर चुका है. इन खदानों में मछली पालन के जरिये स्थानीय लोगो को रोजगार से जोड़ने की कोशिश मत्स्य विभाग कर रहा था. परंतु बीसीसीएल इस पूरी योजना की राह में रोड़ा बन कर खड़ा दिख रहा है. जिला मत्स्य विभाग के अधिकारी मुजाहिद अंसारी के अनुसार बीसीसीएल की इन खदानों में पानी भर गया है. ये खदानें बहुत दिनों से बंद पड़ी हैं. इन खदानों से मत्स्य विभाग रोजगार पैदा करने की तैयारी में जुटा था.
इस वर्ष बरसात में शुरू हो सकती थी योजना
इस योजना के लिए झारखंड सरकार ने 35 लाख रुपये का आवंटन भी कर दिया है. चालू वर्ष के बरसात में यहां मछली पालन शुरू करने की योजना थी. जिला मत्स्य विभाग की टीम ने इन खदानों का निरीक्षण भी किया. खदानों को केज कल्चर मछली पालन के लिए उपयुक्त पाया था.
67.28 लाख मीट्रिक टन कोयला निकालने की मंशा
मत्स्य विभाग ने बीसीसीएल से मछली पालन के लिए एनओसी मांगा था. परंतु महेशपुर कोल खदान के जीएम धर्मेंद्र मित्तल ने एनओसी प्रमाण पत्र निर्गत करने से मना कर दिया. उन्होंने पत्र के जरिये मत्स्य पदाधिकारी को बताया कि महेशपुर खदान कोयला धारक क्षेत्र है, जहां से लगभग 67. 28 लाख मीट्रिक टन कोयला निकालने की योजना है. इसीलिए महेशपुर खुली खदान में मछली पालन के लिए एनओसी नहीं दिया जा सकता है.
युवाओं को रोजगार देने का टूटा सपना
बीसीसीएल के सहयोग से मत्स्य विभाग ने मछलीपालन योजना के तहत स्थानीय युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ने का सपना बुना था. परंतु बीसीसीएल के असहयोगात्मक रुख से अब यह सपना धरातल पर नहीं उतर सकता. युवाओं की एक समिति बनाकर उन्हें मछली पालन का काम सौंपा जाना था. अब स्थानीय लोगों को स्वरोजगार से जोड़ने का यह अवसर भी छिन गया.
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