Ranjeet Singh
Dhanbad: बेटा गया, भरोसा भी गया- टूट गया——-कैसे करे पुलिस पर भरोसा ? 2018 में इसी घर पर गोली चली थी. गोली चलाने वाले वे कौन लोग थे? पुलिस अगर यह पता लगा लेती, तो मेरा बेटा आज होता. अब वह नहीं है. यह शशि भूषण सिंह थे. रेलवे के ठेकेदार बबलू सिंह के पिता. वही बबलू, जिसे 2 अप्रैल को फुसबंग्ला के पास गोलियां मारी गई. बबलू अब इस दुनिया में नहीं है. 6 अप्रैल को बबलू के पिता ने लगातार संवाददाता के साथ अपना दुख साझा किया.
मेरे बबलू ने क्या बिगाड़ा था?
दुनिया में सबसे बड़ा दुख क्या है? जवान बेटे का शव पिता के कंधे पर जाना – भारतीय परंपरा में ऐसा ही कहा जाता है. यही दुख झेल रहे हैं शशि भूषण सिंह. उनके मुंह से शब्द कम निकलते हैं, आंखों से आंसू ज्यादा- हर बात पर आंसू. मानो आंखों में समंदर समाया हो. सुबकते हुए कहते हैं- अब देखिए, पांच दिन हो गए. पुलिस कुछ भी पता नहीं लगा पाई. ——– मेरा तो सब चला गया. अब बचा ही क्या? परिवार को सुरक्षा भी नहीं दी. इतना तो बता दो- वे कौन हैं? क्यों किया? मेरे बबलू ने क्या बिगाड़ा था?
भरोसा किसने तोड़ा ? पुलिस या ——?
बबलू के बहनोई प्रभु सिंह उस दिन साथ थे. उन्होंने पूरी बात बताई. कैसे, कब, क्या हुआ ? बोले- भैया का मोबाइल भी पुलिस के हाथ नहीं लगा है. अगर मोबाइल मिल जाता, तो कुछ जानकारी मिल सकती थी. बोले- लिखित में सुरक्षा मांगी, अब तक नहीं मिली. अब क्या बोल सकते हैं. घर पर परिजनों का आना-जाना लगा था. कोई आता, तो सब बुक्का फाड़ कर रोते. बड़ा ही गमगीन वातावरण. जहां हर आंख नम थी. दिमाग में शशि भूषण सिंह की बात गूंज़् रही थी- मेरा तो भरोसा ही टूट गया. उनका भरोसा किसने तोड़ा ? पुलिस या —-?
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