C. Ravi
Dhanbad : पेट्रोल- डीजल के दाम भले घट गए हैं, लेकिन बस संचालक किराया घटाने के मूड में नहीं हैं. शनिवार, 21 मई को पेट्रोल की कीमत में 9 रुपए और डीजल की कीमत में 7.36 रुपए की कमी की गई. इससे लोगों को थोड़ी राहत मिली पर बस संचालक किराया में राहत देने को तैयार नहीं हैं. वे बस संचालन में भारी लागत का रोना रोते हैं. धनबाद से विभिन्न जिलों एवं पड़ोसी राज्यों के लिए बसों से प्रतिदिन 10 से 15 हजार यात्री सफर करते हैं. जिन से दो से तीन रुपए प्रति किलोमीटर के हिसाब से किराया वसूला जाता है.
220 रुपए एसी बस का किराया था, लेकिन अब 350
बस डिपो से रांची के लिए बस पकड़ने आए शशि पासवान का कहना है कि दो वर्षों में बस किराया में डेढ़ गुना इजाफा हुआ है. दो वर्ष पूर्व रांची के लिए 220 रुपए एसी बस का किराया था, लेकिन अब 350 रुपए देन पड़ता है. डीजल के मूल्य में दो रुपए की बढ़त के बाद किराया में 10 से 20 रुपया बढ़ा दिया जाता है. लेकिन, कमी होने पर किराया नहीं घटता. टाटा के लिए बस पकड़ने पहुंचे संदीप लाला ने कहा कि जिस तरीके से पेट्रोल और डीजल की कीमत बढ़ने के बाद बसों का किराया बढ़ाया जाता है, ठीक उसी तरीके से जब डीजल की कीमतों में गिरावट आती है तो बस के किराए में भी कमी होनी चाहिए. करोना काल से पूर्व टाटा के लिए बस किराया 270 से लेकर 300 रुपए के बीच था, लेकिन आज 400 है.
तो शहर में एक भी बस नजर नहीं आएगा : सुमित सिंह
बस ओनर एसोसिएशन के अध्यक्ष सुमित सिंह का कहना है कि बसों को सड़कों पर चलाना काफी मुश्किल साबित हो रहा है. पेट्रोल और डीजल के दाम में कमी से किराया कम नहीं किया जा सकता. बस में कई तरह के खर्च होते हैं, जो यात्रियों को पता नहीं होता है. सुमित सिंह ने बताया कि आज बस के मेंटेनेंस पर भारी खर्च करना पड़ता है. ऐसे में अगर किराया कम कर दिया जाए तो शहर में एक भी बस नजर नहीं आएगा. डीटीओ ओम प्रकाश यादव का कहना है कि किराया कम-ज्यादा करना उनके स्तर का काम नहीं हैं. किराया कम करना प्रधान सचिव [पीएस] स्तर का काम है.
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