Dhanbad : कोचिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया और धनबाद कोचिंग एसोसिएशन के संयुक्त तत्वाधान के तहत प्रेस कॉन्फ्रेंस गोल्फ ग्राउंड में की गई. जिसमें मुख्य रुप से धनबाद के सैकड़ों शिक्षकों ने भाग लिया.
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विगत 18 महीनों से कोचिंग संस्थान बंद है
कोचिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष ने कहा कि विगत 18 महीनों से कोचिंग संस्थान बंद है कोरोना के कारण प्राइवेट शिक्षकों एवं कोचिंग संचालकों की स्थिति दिन प्रतिदिन बद से बदतर होती जा रही है. जिसका खोज खबर लेने वाले ना तो सरकार है ना कोई जनप्रतिनिधि. आज झारखंड में अनलॉक के तहत सारे के सारे सेक्टरों को खोल दिया गया है. चाहे वह मॉल हो, सिनेमा हॉल हो, पार्क हो. परंतु कोचिंग संस्थान आज भी बंद है जिसके कारण कोचिंग चलाने वाले शिक्षकों तथा उस में कार्यरत कर्मचारी जो पूरे झारखंड में हजारों की संख्या में है बेरोजगार की ओर अग्रसर है. और सरकार तत्काल कोई निर्णय नहीं लिया तथा कोचिंग और शिक्षण संस्थाओं को नहीं खोला गया तो यह सारे शिक्षक भूखमरी के शिकार हो जाएंगे. ऐसी परिस्थिति में हुए अपने जान भी गंवा बैठेंगे.
शिक्षा मंत्री ने दिया आश्वासन
बैठक में कोचिंग फेडरेशन आफ इंडिया के अध्यक्ष मनोज सिंह ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि मैं कल रांची में शिक्षा मंत्री से मिलकर शिक्षकों की स्थिति से अवगत कराया हूं. तथा शिक्षा मंत्री हमारे बातों को ध्यान पूर्वक सुनकर हमें आश्वासन दिया है कि बहुत ही जल्द कोचिंग को खोला जाएगा. साथ ही उन्होंने बताया कि पिछले साल से वैश्विक महामारी COVID-19 के कारण शिक्षा क्षेत्र को सर्वाधिक नुकसान उठाना पड़ा है. सभी हितधारक, यानी छात्र, उनके माता-पिता और शिक्षक देश भर में प्रतिकूल रूप से प्रभावित हुए हैं.
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संस्थानों को किराया, बिजली के बिल देने का बोझ बढ़ गया है
वर्तमान परिस्थितियों के कारण शिक्षा की सुविधा के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का उपयोग किया जा रहा है, लेकिन यह केवल मेट्रो शहरों में प्रभावी है और केवल समाज के आर्थिक रूप से संपन्न वर्ग के लिए. प्रशासन के आदेश से स्कूलों/कोचिंग संस्थानों को बंद किया गया है. जिससे न तो कोई नया एडमिशन हो पाया हैं ना ही पहले से पढ़ रहे छात्रों की ट्यूशन फीस मिल पा रही है. लेकिन इसके विपरीत संस्थानों को किराया, बिजली के बिल देने का बोझ बढ़ गया है. अपने कर्मचारियों को उनके दैनिक जीवन को सुनिश्चित करने के लिए वेतन का भुगतान करना पड़ रहा है. स्थिति चिंताजनक है. क्योंकि देश में कई शिक्षकों ने आत्महत्या कर ली है. सरकार ने अभी तक शिक्षा क्षेत्र को कोई राहत या पैकेज सहायता नहीं दी है, जबकि सभी क्षेत्रों को राहत दी गई है.
कोचिंग संस्थानों को पुनः खोलने की अनुमति प्रदान करें
भारत में कोरोनावायरस की दूसरी लहर का संक्रमण लगभग समाप्त हो गया है. पिछले साल कोरोना के बाद 15 अक्टूबर से स्कूल कॉलेज एवं कोचिंग खोलने का आदेश जारी हुआ था. उस समय प्रदेश में प्रतिदिन पॉजिटिव केसे की संख्या 2000 के ऊपर थी, लेकिन अब कोविड-19 केस की संख्या प्रतिदिन 200 से भी नीचे आ चुकी है फिर भी कोचिंग, स्कूल, कॉलेज के खोलने के संदर्भ में कोई गाइडलाइन नहीं आई है.
दुकानें, शॉपिंग मॉल, मनोरंजन पार्क, होटेल, रेस्तरां और बार, विवाह समारोह आदि जैसी विभिन्न गतिविधियों के लिए सरकार पहले ही दिशानिर्देश जारी कर चुकी है. हम आपसे विनम्र अनुरोध करते हैं कि कृपया इस कोचिंग संस्थानों को उचित दिशा-निर्देशों और एसओपी के साथ खोलने की अनुमति दें, जिससे शिक्षकों की आजीविका पुनः पटरी पर आए एवं छात्र मानसिक तनाव से बाहर निकलें एवं भविष्य निर्माण सुनिश्चित हो.
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फ्रंट-लाइन वर्कर्स के रूप में शिक्षक
शिक्षकों को ऑनलाइन सत्र आयोजित करने, परीक्षाओं का मूल्यांकन करने और शिक्षाविदों से संबंधित विभिन्न अन्य प्रशासनिक कार्यों के लिए स्कूल / कोचिंग जाना पड़ता है, इसलिए शिक्षकों को फ्रंट-लाइन कार्यकर्ता घोषित किया जाना चाहिए और उन्हें टीकाकरण कार्यक्रम में वरीयता दी जानी चाहिए.
शिक्षकों को वित्तीय सहायता की गई मांग
बता दें कि पिछले साल से COVID-19 स्थितियों के संक्रमण के कारण शिक्षकों की वित्तीय स्थिति पूरी तरह से खराब हो गई है. हमारा खर्च वैसे ही चल रहा है, हम सरकार से निम्नलिखित मदद का अनुरोध करते हैं।
(A) स्थिति सामान्य होने तक प्रति परिवार 20,000/- रुपये की मासिक सहायता. शिक्षकों पर तत्काल प्रभाव से ईएमआई की मोहलत मिले. उक्त अवधि के लिए कोचिंग परिसरों के बिजली बिल माफ किए जाएं. पूर्वोक्त अवधि के लिए परिसर का किराया कम करने और भुगतान न करने में छूट दी जाये.
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