डीजीएमएस व सिंफर के वैज्ञानिकों ने लिया खदान का जायजा
Dhanbad : सेल की जीतपुर कोलियरी में पानी के रिसाव की घटना के बाद न सिर्फ प्रबंधन की परेशानियां बढ़ गई हैं, बल्कि मजदूराें की रोजी-रोटी पर भी आफत आ गई है. 10 दिनों के लिए इस कोलियरी से जुड़े असंगठित मजदूरों को काम पर आने से मना कर दिया गया है. इससे मजदूरों में आक्रोश है, क्योंकि प्रबंधन खुल कर इस बात को भी स्वीकार नहीं कर रहा है कि जल रिसाव से यहां गंभीर खतरा है. लेकिन डीजीएमएस और सिंफर के लोग कोलियरी पहुंच कर खतरे का जायजा ले रहे हैं.
ज्ञात हो कि सोमवार की देर शाम कोलियरी की खदान में अचानक पानी का रिसाव बढ़ गया था. इस कारण आनन-फानन में यहां से लोगों को बाहर निकाला गया. इसके बाद से ही मजदूरों को खदान में उतरने नहीं दिया गया है. डीजीएमएस और सिंफर के वैज्ञानिकों की टीम ने भी यहां का दौरा किया है. लेकिन जल रिसाव की घटना को प्रबंधन काफी गोपनीय रखे हुए है. गौरतलब है कि 18 महीने बाद सितंबर 2023 में खदान चालू होने की प्रक्रिया में आई थी. अक्टूबर 2023 से काम फुल फेज में चालू हो गया. लेकिन पिछले 22 अप्रैल को दूसरी पाली से काम फिर बंद हो गया, जिससे लगभग 450 मजदूर फिर से बेरोजगार हो गये.
अधिकारियों ने 10 दिनों का वक्त लिया है : संघ
जनता मजदूर संघ के अध्यक्ष रवींद्र कुमार गोप व सीटू नेता विजय कुमार यादव ने बुधवार को उक्त जानकारी दी. उन्होंने कहा कि सोमवार को प्रथम पाली में करीब 150 मजदूर 14 नंबर फेस में कार्य के लिये गये थे. कार्य के दौरान मजदूरों ने फेस में पानी रिसते होते देखा. इसके बाद मामले की जानकारी माइनिंग सरदार को दी गई. जानकारी मिलते ही माइंनिग सरदार आनन फानन में उक्त स्थल पहुंचे और मुआयना किया. इसके बाद उन्होंने अपने वरीय अधिकारियों को फेस में हो रहे पानी रिसाव की जानकारी दी. वरीय अधिकारियों ने माइनिंग सरदार को पहले मजदूरों को खदान से ऊपर निकालने का निर्देश दिया. मजदूरों के ऊपर आने के बाद वरीय अधिकारी ने खदान के अंदर जा कर उक्त स्थल का मुआयना किया और फिलहाल काम बंद करने का निर्देश दे दिया. फिलहाल, अधिकारियों ने 10 दिनों का वक्त लिया है.
फेस में पानी होने से इंकार कर रहे जीएम
जीतपुर कोलियरी के महाप्रबंधक बादल मंडल से बात की गई, तो उन्होंने फेस में पानी होने की बात से साफ इंकार कर दिया. कहा कि खदान बिल्कुल सुरक्षित है. कोई दिक्कत नहीं हैं. खदान में कार्य भी हो रहे हैं. 500 मजदूरों की बेरोजगारी पर उन्होंने कहा कि इससे पहले भी खदान डेढ़ साल तक बंद थी.
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