Anil Pandey
Dhanbad : जब कोई साइबर थाना पुलिस साइबर क्राइम के एक-एक तार को जोड़ते हुए, एक-एक लिंक को ट्रेस करते हुए कहीं दूर बैठे साइबर क्रिमिनल के हाथों में हथकड़ी लगाती है. तो हमारे मन में यही ख्याल आता है कि साइबर पुलिस इसरो, नासा या किसी हॉलीवुड फिल्म की तरह पूरी तरह आधुनिक तकनीक से लैस, साउंडप्रूफ, एयरकंडीशन्ड बिल्डिंगों में काम करती होगी. लेकिन अगर आप धनबाद के साइबर थाना को महज़ एक नज़र देख लेंगे तो आपका ये भ्रम चकनाचूर हो जाएगा. थाने के बदहाल भवन को देखकर आप अपना सिर पकड़ लेंगे.
जिले का इकलौता साइबर थाना बदहाल है. भवन वर्षों पुराना है, जो जर्जर हो चुका है. बरसात में बारिश का पानी किसी फ्रॉड साइबर लिंक की तरह ही छत से टपकते हुए फर्श तक फॉरवर्ड हो जाता है. दीवारों से भी पानी रिसता हैं. आलम यह है कि थाना में रखे दस्तावेज चौकी और टेबल पर रख कर सहेजे जा रहे हैं. थाना के चारो ओर और दीवारों पर झाड़ियां उग आईं हैं. दीवारों से पपड़ी निकल रही है. खिड़की दरवाजे दरकने लगे हैं. कुछ टूट भी गए. धनबाद साइबर थाना का यही प्रोफाइल पिक्चर है.
इंस्पेक्टर और डीएसपी का कार्यालय भी खस्ताहाल
साइबर थाना भवन में इंस्पेक्टर कक्ष और डीएसपी कक्ष भी है. दोनो अफसरों के कार्यालयों को भी पानी रिसाव और गिरते प्लास्टर का वायरस अपना शिकार बना चुका है. आला अफ़सरों की फटकार ना लग जाए इसलिए अधिकारियों ने चुप्पी का एंटीवायरस डाउनलोड कर लिया है. साइबर डीएसपी सुमित सौरभ लकड़ा ने कहा कि खस्ताहाल भवन के कारण परेशानी होती है. पूर्व में संबंधित अफसरों को लिखा भी गया है. लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई.
साइबर थाना की अपनी कोई सवारी नहीं
साइबर थाने की बदहाली की कहानी काफ़ी लंबी है. आप जानकर हैरान हो जाएंगे कि धनबाद सिबर थाना के पास अपनी कोई गाड़ी नहीं. थाने के काम से कहीं आने जाने के लिए पुलिसकर्मी अपने निजी वाहन का इस्तेमाल करते हैं. ऐसे में कही छापेमारी करनी हो तो काफी परेशानी होती है. वाहन का इंतज़ाम करते-करते समय निकल जाता है. साइबर थाना में फिलहाल 3 इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारी 5 दोरागा और 4 टेक्निकल ऑपरेटर हैं.
ऐसे माहौल में काम करना चैलेंज़िंग
ज़िस तरह इंटरनेट का इस्तेमाल बढ़ा है, साइबर क्राइम भी अब बड़ी चुनौती साबित होने लगी है. यही वजह है कि साइबर अपराध के मामले में लगातार वृद्धि हो रही है. धनबाद सिबर थाने में साल 2022 के 6 महीने में 30 साइबर ठगी के मामले दर्ज हुए है. भवन, वाहन जैसी बुनियादी सहूलियतों के अभाव में साइबर क्राइम पर नकेल कसना काफ़ी चैलेंज़िंग है. खस्ताहाल भवन होने के कारण थाने में पदस्थापित पुलिसकर्मी यहां नहीं रहना चाहते.
साल 2017 के दिसंबर में डीआईजी प्रभार रंजन और एसएसपी मनोज रतन चौथे ने सरायढेला में बीसीसीएल के एक भवन में साइबर थाना का उद्घाटन किया गया था. ताकि बढ़ते साइबर क्राइम के मामलों पर अंकुश लग सके. लेकिन उसके बाद से अब तक भवन के मेंटनेंस को लेकर कोई पहल नहीं की गई. ज़िसके कारण पूरी भवन जर्ज़र होने के कगार पर है.
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