Dhanbad: आबरी कोई वोटवा मांगे ऐतो तब हमनी जवाब देबो. … पानी खातिर हमनी मोरे ही हो. कोई कुछ नाइ सोचो हो… यह कहना है धर्मापुर की आदिवासी महिलाओं का. गोविंदपुर प्रखंड क्षेत्र के सीमावर्ती तिलैया पंचायत में पहाड़ी की तलहटी पर बसे आदिवासी गांव धर्मापुर में पेयजल की समस्या विकराल बनी हुई है. ग्रामीणों ने बताया कि मार्च के बाद से ही लगातार पेयजल की समस्या से जूझ रहे हैं. मगर कोई सुध लेने वाला नहीं है. एक कुएं के भरोसे 52 घर के लोग किसी तरह अपनी प्यास बुझा रहे हैं.. सुबह 8 बजे तक कुछ गैलन पानी जल स्रोत से मिलता है. इसके बाद कुआं सूख जाता है.
साइकिल पर गैलन लेकर जाना पड़ता है बड़ी दूर
गांव की उर्मिला देवी कहती हैं कि लोग सुबह पानी ला पाते हैं तो ठीक है, अन्यथा दिन भर प्यास बुझाने के लिए साइकिल के सहारे गैलन लेकर घर से काफी दूर जाकर पानी लाना पड़ रहा है. सब काम छोड़ कर पानी लाने में ही समय व्यतीत हो जाता है.
चापाकल खराब, जनप्रतिनिधि नहीं लेता सुध
ग्रामीण सूजन मरांडी का कहना है कि आर्थिक रूप से उतना सक्षम भी नहीं हैं कि टंकी से पानी मंगवा कर पी सकें. नहाना धोना तो दुश्वार हो गया है. गांव का चापाकल भी खराब पड़ा है. कोई जनप्रतिनिधि सुध नहीं ले रहा है. अगर जल संकट से निजात नहीं मिलेगी तो 2024 में वोट का बहिष्कार करेंगे. मनरेगा से डोभा भी बना हुआ है, जो सूख चुका है.
गांव में है डीप बोरिंग की जरूरत: मुखिया
तिलैया पंचायत के मुखिया सुधीर महतो का कहना है कि पहाड़ी से सटा गांव है. वहां डीप बोरिंग की जरूरत है. लगभग 700 फ़ीट गहरा बोरिंग करने पर पानी मिलेगा. चापानल लगवाया था, लेकिन खराब हो गया. डीएमएफटी फंड से उपायुक्त कुछ करे तो पानी मिल जाए.