Sindri: सिंदरी (Sindri) गोशाला अटल चौक स्थित पंचमुखी बजरंगबली मंदिर में श्री श्री मारुति नंदन महायज्ञ में पांचवें दिन शनिवार को वृंदावन से पधारे अरविंद गर्गाचार्य ने प्रभु श्री राम के बाल्यकाल का वर्णन किया. उन्होंने कहा कि रावण ने अमरत्व का वरदान मांगा था. रावण अहंकार का स्वरूप था और अहंकार जल्दी मरना नहीं चाहता है, उसे मारना पड़ता है, उसे मारने को भगवान मनुष्य बन कर आते हैं. इसके लिए सभी देवता भयभीत होकर भगवान से अवतार की प्रार्थना करने जाते हैं. देवता सोचते हैं कि प्रभु कहां मिलेंगे. तभी शंकर भगवान कहते हैं कि हरि व्यापक सर्वत्र समाना, प्रेम ते प्रकट हो ही मैं जाना. आचार्य ने बताया कि इसका मतलब है कि भगवान तो सर्वत्र हैं. अगर प्रेम से पुकारा जाए तो वह भक्तों की रक्षा करने को हर स्थान पर प्रकट हो जाते हैं. भक्त प्रहलाद की रक्षा के लिए भगवान ने नरसिंह अवतार लिया था और खंभे से प्रकट हुए थे. अंत में आचार्य जी ने प्रभु श्री राम की कथा सुनाई और बधाइयां गाईं, जिसे सुन श्रोता आनंद में डूब गए.
आशीष आनंद त्यागी जी महाराज के पावन सान्निध्य में महायज्ञ से सिंदरीवासी व पंचमुखी बजरंगबली मंदिर पुजारी श्याम पाठक, सदस्यगणों म़े मुख्य यजमान सत्येंद्र सिंह, अशोक राय, अजय सिंह, अनिरुद्ध सिंह, नृपेंद्र झा, मुन्ना दुबे, धीरज सिंह, सुरेश महतो, संजय कुमार तिवारी, गणेश सिंह, दीपक कुमार, नितेश कुमार, मिथुन बाल्मीकि, समरेश कुमार सहित सैकड़ों की संख्या में महिलाएं, बच्चे व बुजुर्ग कथा का आनंद ले रहे हैं.