Mithilesh Kumar
Dhanbad : धनबाद (Dhanbad) बीसीसीएल के ब्लॉक टू क्षेत्र अंतर्गत बेनीडीह केसीसी मेन साइडिंग में शनिवार 19 नवंबर की काली रात उस समय और भयावह हो उठी, जब एक कथित मुठभेड़ में सीआईएसएफ ने चार युवकों को गोली मार कर मौत की नींद सुला दी. इस मौत के बाद इलाके में हाहाकार मच गया, तो प्रशासन की घिग्घी बंध गई. हालत यह कि जितने मुंह उतनी बातें. कोई कह रहा था कोयला चोरों को सबक मिल गया है, कोई इसे सीआईएसएफ की नृशंस कार्रवाई बता रहा था, जबकि परिजनों का कहना था कि नजदीक ही कोलियरी है तो कोयला उठाने का काम तो हम रोज करते हैं. यह हमारी रोजी-रोटी है. इसके लिए सब को पैसा दिया जाता है. अगर सीआईएसएफ को कोयला चोरी रोकना ही था तो लड़कों के पैर में गोली मारनी चाहिए थी, उनकी जिंदगी ही क्यों छीन ली. यह अधिकार सीआईएसएफ को किसने दिया.
सीआइएसएफ डीआइजी ने कहा फैला भ्रम
इधर प्रशासन से जुड़े अधिकारी कुछ भी कहने से इनकार कर रहे थे. एसडीओ साहब जांच की बात कह रहे थे तो बीसीसीएल का कोई अधिकारी मुंह खोलने को ही तैयार नहीं. देर शाम सीआईएसएफ के डीआइजी विनय काजला ने कहा कि सीआइएसएफ ने गोली नहीं चलाई. रोकने-टोकने पर कोयला चोरी करने आए युवक उग्र हो उठे और जवानों से हथियार छीनने लगे. इसी छीनाझपटी में गोली चल गई और युवक मारे गए.
मंत्री के बयान का निहितार्थ-यह कैसा न्याय
इस बीच एसडीओ प्रेम कुमार तिवारी को छोड़ कोई अधिकारी घटनास्थल पर नहीं पहुंचा. एसएसपी, डीसी सभी अपने कार्यालय में बैठ कर ही जायजा लेते रहे. इस बीच राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता भी धनबाद पहुंचे थे. जब उन्हें सीआइएसएफ और कोयला चोरों की मुठभेड व युवकों के मारे जाने की जानकारी मिली तो उन्होंने अधिकारियों की मौजूदगी में बड़ी चुभती हुई बात कही. कहा-हीरा चुराने वाले छुट्टा घूम रहे हैं और खीरा चुरानेवाले को सजा दी जा रही है. इसके बाद जो सवाल उभरे, वह था-यह कैसा न्याय ? कोलियरी क्षेत्र में बड़े माफिया रोज चोरी-छिपे ट्रकों में भर कर कोयला कई राज्यों में भेजते हैं. कानून की नजर में इसे तस्करी कहा जाता है. मगर उन कोयला तस्करों का कुछ नहीं बिगड़ रहा. साइकिल-बाइक से चोरी का कोयला भी इन्हीं तस्करों की मंडी या डिपो में पहुंचता है. किसी का कोई बाल बांका भी नहीं कर सकता. कभी कोई छोटी-मोटी कार्रवाई हो भी जाए तो राजनीति आड़े आ जाती है. मगर गरीब, बेरोजगार और रोजी-रोटी से महरूम लोग यदि टोकरी या साइकिल पर चोरी से कोयला ले जाते हैं तो उन्हें कोयला चोर कह कर डंडा व गोली मारी जाती है. मंत्री बन्ना गुप्ता के वक्तव्य का निहतार्थ भी यही है.
राजनीतिक दलों को भी सांप सूंघ गया
इस निहितार्थ को लोग बखूबी समझ रहे हैं. धनबाद जिला प्रशासन के अधिकारी सकते में हैं. उनकी चुप्पी तो समझ में आती है, मगर राजनीतिक दलों के नेताओं को भी सांप सूंघ गया है. दिनकर जी की कविता की एक पंक्ति है-‘किसके वसन नहीं डूबे इस वैतरणी की धारा में’-मंत्री जी ने यह क्या कह दिया. उनके दल के नेता अथवा सरकार में उनकी सहयोगी पार्टियों के लोग भी सन्नाटे में आ गए हैं. बात उतनी ही नहीं. हेमंत हटाओ की मुहिम में भिड़ी विपक्षी पार्टी भाजपा के नेता भी मंत्री की इस साफगोई पर मुंह नहीं खोल रहे.
प्रशासन ने सिर्फ रस्म निभाई
प्रशासन की बात करें तो डीसी और एसएसपी ने घटना स्थल पर जाना भी जरूरी नहीं समझा. एसडीएम और धनबाद डीएसपी को भेजकर सिर्फ खानापूर्ति की. रविवार को एक निजी कार्यक्रम में शामिल होने आए सूबे के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने भी कांग्रेस की लाइन ही दुहराई. उन्होंने अपने बयान में सिर्फ सीआईएसएफ और केंद्र सरकार पर निशाना साधा. राज्य के पुलिस प्रशासन पर बोलने से बचते नजर आए. मगर नहीं कहते हुए भी बहुत कुछ कह गए. उनके इस बयान से स्थानीय प्रशासन सकते में है.
बाघमारा क्षेत्र में ऐसी मुठभेड़ नई बात नहीं
बाघमारा क्षेत्र में सीआईएसएफ और कोयला चोरों के बीच मुठभेड़ कोई नई घटना नहीं है. इसी साल फरवरी से लेकर 19 नवम्बर तक छह बार मुठभेड़ हो चुकी है. 28 फरवरी को नदखरकी कोलडंप में सीआईएसएफ के जवान रणवीर कुमार पर चोरों ने धारदार हथियार से हमला किया था. 17 अगस्त को बेनीडीह मेन साइडिंग में सीआईएसएफ के हेड कांस्टेबल एमके चौहान और कांस्टेबल सीएस मंडल की चोरों ने पिटाई की थी. 28 सितंबर को अवैध मुहाना बंद करने पर कोल अधिकारियों और सीआईएसएफ को चोरों ने बंधक बना लिया था. 3 नवंबर को शताब्दी पैच में चोरों ने सीआईएसएफ पर जमकर पत्थरबाजी की थी. 4 नवम्बर को बासजोड़ा कोलियरी साइडिंग में चोरों ने सीआईएसएफ जवानों पर हमला कर दिया था और 19 नवंबर की देर रात केसीसी साइडिंग में सीआईएसएफ और चोरों के बीच मुठभेड़ हुई.
कोयला चोरी के पीछे कई चेहरे
धनबाद में सत्ता का सुख हो या सरकारी विभागों में मलाईदार कुर्सी, सब कोयले के रास्ते से होकर ही गुजरता है. जनप्रतिनिधि, कोल अधिकारी, जिले के आला अधिकारी, थाना सीआईएसएफ, स्थानीय पुलिस और कुछ रसूखदार लोगों के गंठजोड़ से कोयला चोरी का रास्ता आसान हो जाता है. एक दो मुठभेड़ के बाद भी इस धंधे में कोई बदलाव नहीं आता.
ऐसे मामलों में नहीं होता धरना-प्रदर्शन
कोयला चोर जब पैसा चुकाने के बाद अपनी मनमानी पर उतर आते हैं, तब होती है मुठभेड़. ऐसी घटनाओं के बाद स्थानीय प्रशासन भी सिर्फ मामला शांत होने तक रेस होता है. जिले के वरीय अधिकारियों से टीम गठन, छानबीन, दोषियों पर कार्रवाई का आश्वासन मिलता है. वहीं बात बात में धरना व सड़क जाम करने वाले राजनीतिक दल ऐसे मामले में शांत रहना ही ठीक समझते हैं.
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