Topchachi : भागवत सेवा समिति साहोबहियार द्वारा आयोजित सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा सह लक्ष्मी नारायण यज्ञ के सातवें दिन आचार्य ब्रजेश जी महराज ने कृष्ण सुदामा प्रसंग का वर्णन किया. उन्होंने कहा कि संसार में मित्रता हो तो श्रीकृष्ण और सुदामा की तरह. सुदामा के आने की खबर मिलने पर श्रीकृष्ण दौड़ते हुए दरवाजे तक गए थे. पानी परात को हाथ छुयो नहिं, नैनन के जल से पग धोए, अर्थात श्री कृष्ण ने अपने बाल सखा सुदामा के आगमन पर उनके पैर धोने के लिए पानी मंगवाया. परंतु उनकी दशा देखकर इतना दुख हुआ कि आंसुओं से ही पैर धुल गए.
आधुनिक युग में स्वार्थ के लिए लोग एक-दूसरे के साथ मित्रता करते हैं और काम निकल जाने पर भूल जाते है. जीवन में प्रत्येक प्राणी को परमात्मा से एक रिश्ता जरूर बनाना चाहिए. भगवान से बनाया गया रिश्ता जीव को मोक्ष की ओर ले जाता है. उन्होंने कहा कि स्वाभिमानी सुदामा ने विपरीत परिस्थिति में भी अपने सखा कृष्ण का चिंतन और स्मरण नहीं छोड़ा. उन्हें परम पद प्रदान किया. सुदामा की कथा सुनकर श्रद्धालु भावविभोर हो गए. आचार्य ब्रजेश जी महराज ने बताया कि भागवत कथा सुनने से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है. कथा सुनने भारी संख्या में आस-पास के लोग पहुंचे. भागवत सेवा समिति की ओर से भव्य भंडारा का आयोजन किया गया. दूर दराज से पहुंचे श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया.