Dhanbad : निजी अस्पतालों ने भुगतान की आड़ लेकर आयुष्मान भारत के तहत डायलिसिस बंद कर दिया है. सरकारी अस्पतालों में पर्याप्त क्षमता नहीं है. ऐसी हालत में किडनी के मरीजों की जन पर बन आई है. समर्थ्यवान मरीज तो निजी अस्पतालों को मनमानी पीस चुकाकर डायलिसिस करा लेते हैं, परंतु निर्धन और साधनहीन मरीजों को भाग दौड़ करनी पड़ रही है. विगत एक सप्ताह से यही स्थिति है. मरीज और उनके स्वजन जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से गुहार लगा रहे हैं. निजी अस्पतालों की मनमानी रोकने की मांग की जा रही है. बावजूद प्रशासन अथवा स्वास्थ्य विभाग कोई कड़ा कदम उठा कर निजी अस्पतालों को रास्ते पर लाने में नाकामयाब रहा है.
निजी अस्पतालों की फीस गरीबों के लिए मुश्किल
किडनी के मरीज हीरालाल महतो कहते हैं कि निजी अस्पताल डायलिसिस करने के 15 से 25 सौ रुपये लेते हैं. गरीब मरीजों के लिए इतना पैसा देना संभव नहीं है. इधर निजी अस्पतालों का कहना है कि पैसे मिलने पर ही डायलिसिस किया जाएगा. जो मरीज पैसे देने में सक्षम हैं, वे डायलिसिस करा रहे हैं. जबकि आयुष्मान के भरोसे रियायत की आस लगाए मरीजों को मुश्किल हो रही है. लोगों ने सिविल सर्जन से शिकायत भी की है.
अस्पतालों में बढ़ा दी गई है क्षमता : सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ. श्याम किशोर कांत का कहना है कि शहीद निर्मल महतो मेडिकल कॉलेज अस्पताल (एसएनएमएमसीएच) और सदर अस्पताल स्थित किडनी केयर सेंटर में डायलिसिस की संख्या बढ़ा दी गई है. दोनों जगह पर चिकित्सकों की देखरेख में डायलिसिस हो रहा है. जहां हर दिन चार से पांच लोग की डायलिसिस करा पाते थे, वहां अब 15 से 20 मरीज डायलिसिस करा रहे हैं. हालांकि उन्होंने दुहराया कि जो भी अस्पताल मनमानी कर रहे हैं, उनके खिलाफ जल्द कार्रवाई की जाएगी.
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