Dhanbad : केंदुआडीह थाना के पुटकी बलिहारी क्षेत्र अंतर्गत बरारी कोक प्लांट स्थित नेताजी के स्मारक स्थल पर प्रत्येक वर्ष की तरह रविवार 23 जनवरी को नेताजी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर 125वीं जयंती मनाई गई. समारोह में मुख्य अतिथि बीसीसीएल के पुटकी बलिहारी क्षेत्र के महाप्रबंधक प्रणब कुमार मिश्रा, नेताजी स्मारक समिति के अध्यक्ष जयंत घटक, कोषाध्यक्ष अखिलेश यादव, केंदुआडीह पुलिस और सैकड़ों स्थानीय ग्रामीण उपस्थित थे. समारोह में नेताजी स्मारक समिति के अध्यक्ष, कोषाध्यक्ष और ग्रामीणों ने नेताजी की गुम होती धरोहर को बचाने का संकल्प लिया. ग्रामीणों और समिति के लोगों ने कहा कि किसी भी हाल में नेताजी सुभाषचंद्र बोस की आखिरी यादों को मिटने नहीं देंगे. यह धनबाद की धरोहर है. इस धरोहर को बचाने के लिए अगर आंदोलन भी करना पड़ा तो वे तैयार हैं. उन्होंने कहा कि बीसीसीएल साजिश के तहत नेताजी की आखिरी यादों को कोयला निकालने के बहाने खत्म करना चाह रहा है, जिसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
समय के साथ सब बदलता है : महाप्रबंधक
बीसीसीएल के महाप्रबंधक प्रणब कुमार मिश्रा ने लगातार न्यूज के संवादादाता से बातचीत में कहा कि यह धनबाद के लिए गौरव की बात है कि नेताजी सुभाषचंद्र बोस की आखरी यादें धनबाद के बरारी कोक प्लांट से जुड़ी हुई हैं. यह स्मारक स्थल एक धरोहर है, जिसे बचाने का प्रयास किया जा रहा है. लेकिन घरोहर के नीचे कीमती कोयला और फायर है, जिसे निकालना भी जरूरी है. क्योंकि समय के साथ सब बदलता है.
बदतर हो गया स्मारक स्थल, यादें ही शेष
बता दें कि नेताजी सुभाषचन्द्र बोस 16 जनवरी 1941 को कोलकाता से जिया उद्दीन पठान एल आई सी एजेंट के वेश में निकले और बराकर, कुल्टी होते हुए धनबाद के पुटकी बलिहारी क्षेत्र अंतर्गत बरारी कोक प्लांट पहुंचे थे. यहां उनका भतीजा अशोक बोस केमिकल इंजीनियर के पद पर कार्यरत थे. नेता जी ने भतीजे के घर विश्राम किया और 17 जनवरी की रात यहां से वाया गोमो पठानकोट के लिए रवाना हो गए. यह उनका आखिरी सफर था. उक्त स्थल को अग्रेजों ने आजादी से पहले ध्वस्त कर दिया था. बाद में धरोहर स्वरूप इस स्थल को बचाने के लिए 1999 में बीसीसीएल के सीएमडी टी के लाहड़ी ने बाजाप्ता स्मारक स्थल बनाया और उसका सौन्दर्यीकरण किया गया. लेकिन आज बीसीसीएल की आउट सोर्सिंग के कारण इस स्थल की स्थिति बदतर हो गई है. बस नेताजी की जयंती पर उन्हें याद करने के लिए स्मारक स्थल की रंगाई पोताई की जाती है और फिर भाषण के बाद उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया जाता है.
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