Dhanbad : वर्तमान में पानी के समुचित उपयोग के लिए समुदाय संचालित विकेंद्रीकृत जल प्रबंधन प्रणाली की आवश्यकता है. पारंपरिक भारतीय जीवन शैली में पानी के प्रभावी प्रबंधन की व्यवस्था थी. विकास व आधुनिक युग की शुरुआत के बाद ऐसा बदलाव आया कि आज बाढ़ और सूखा जैसी समस्याएं पैदा हो गई हैं. यह बातें वाटरमैन के नाम से मशहूर प्रसिद्ध पर्यावरणविद् और जल संरक्षणवादी डॉ राजेंद्र सिंह ने आईआईटी आईएसएम में कही. वह पर्यावरण दिवस के अवसर पर पर्यावरण विज्ञान और इंजीनियरिंग विभाग द्वारा जीजीएलटी में आयोजित व्याख्यान श्रृंखला को संबोधित कर रहे थे. कहा कि हमें अपने क्षेत्र के जल भंडारों के प्रति जागरूक बनना होगा.
700 केएलडी वाटर ट्रीटमेंट की है सुविधा : प्रो धीरज
आईआईटी-आईएसएम के उप निदेशक प्रो धीरज कुमार ने बताया कि संस्थान ने जल संरक्षण को लेकर कई कदम उठाए हैं. वर्तमान में संस्थान के पास 700 केएलडी क्षमता का सीवरेज वाटर ट्रीटमेंट प्लांट है. इससे साफ पानी का उपयोग संस्थान परिसर में सिंचाई के उपयोग में लाया जाता है. इस अवसर पर डिपार्टमेंट ऑफ एनवायर्नमेंटल साइंस एंड इंजीनियरिंग विभाग के हेड ऑफ द डिपार्टमेंट प्रो अंशुमाली के अलावा सैकड़ों की संख्या में संकाय सदस्य, छात्र और शोधार्थी मौजूद थे.