जख्मी व गंभीर बीमारी से ग्रसित रेलकर्मियों को भी निजी अस्पतालों का ही सहारा
Dhanbad: भारतीय रेलवे में 73 रेल मंडलों में सबसे अमीर धनबाद रेल मंडल का अस्पताल लगभग बदहाल है. रेलवे सूत्रों के अनुसार हर साल 260 अरब रुपये कमाई करने वाले रेल मंडल में लगभग 26 हजार कर्मी बेहतर इलाज के लिए इधर-उधर भटकने को मजबूर हैं. वित्तीय वर्ष 2022-23 में 103 जख्मी व गंभीर बीमारी से ग्रसित रेलकर्मियों को इलाज के लिए मिशन, असर्फी, जालान, पाटलीपुत्र, मेदांता जैसे निजी अस्पतालों की शरण लेनी पड़ी. कहने को तो मंडल रेल अस्पताल में मेडिसिन, सर्जन, ऑर्थो, स्त्री-प्रसूति, नेत्र, दंत आदि विभाग के ओपीडी-इनडोर में कुल 12 चिकित्सक हैं. परंतु चार-पांच को छोड़कर कोई चिकित्सक मरीजों को न तो ओपीडी में देखता है और न ही इनडोर में.
रेफर कराने के लिए अब होती है पैरवी की जरूरत
पहले सेवानिवृत्त सहित रेलकर्मी या उनके परिजन निजी अस्पतालों में बेहतर कराने के लिए किसी भी संबंधित चिकित्सक से रेफर करा लेता था. परंतु अब रेलवे बोर्ड की सख्ती के बाद गंभीर किस्म के मरीजों या फिर हादसे में गंभीर रूप से जख्मी लोगों को ही इंपैनल्ड अस्पतालों में पैरवी के बाद रेफर किया जाता है. ऐसा रेलवे बोर्ड की ओर से खर्च में भारी कटौती के कारण हुआ है.
रेलवे अस्पताल में सिर्फ एक्स-रे
वर्तमान समय में मुख्यालय मंडल रेलवे अस्पताल में जांच के नाम पर सिर्फ एक्स-रे होता है. शेष अल्ट्रासाउंड, सिटी स्कैन, ईसीजी, एमआरआई व बॉयोप्सी समेत कई तरह की जांच क्लिनिलैब व जालान अस्पताल में कराना पड़ता हैं.
इनडोर में 1613 व ओपीडी में 65,406 का हुआ इलाज
मंडल रेलवे अस्पताल के इनडोर में एक साल के अंदर 1613 रेलकर्मी, रिटायर्ड कर्मी व उनके परिवार का इलाज हुआ है, जिनमें खांसी, बुखार, टीबी, दमा, शुगर व स्त्री-प्रसूति रोग आदि से संबंधित मरीज शामिल हैं. दूसरी ओर ओपीडी में एक साल के अंदर 65,406 मरीज पहुंचे, जिनकी जांच कर चिकित्सकों ने दवाएं दी. मिशन, असर्फी, जालान, मेदांता, पाटलीपुत्र निजी अस्पतालों का रेलवे पर पांच करोड़ से अधिक बकाया है. मिशन हॉस्पिटल दुर्गापुर ने बकाया राशि भुगतान नहीं करने पर रेलकर्मी, रिटायर्ड कर्मी व उनके परिजनों का इलाज भी बंद कर दिया है.
अत्याधुनिक संसाधनों से लैस होगा अस्पताल
पूर्व मध्य रेलवे के जीएम अनुपम शर्मा ने कहा कि मंडल रेल अस्पताल व अन्य स्वास्थ्य केंद्र अत्याधुनिक संसाधनों से लैस होंगे. रिक्त पड़े कई विभाग के चिकित्सकों व कर्मियों की बहाली होगी. इसके अलावा कई जांच उपकरण भी मंगाए जाएंगे, ताकि रेलकर्मी व उनके परिवार को इलाज में परेशानी न हो.