Arjun mandal
Dhanbad : धनबाद (Dhanbad) विश्व अंगदान दिवस 13 अगस्त को समाजसेवी अंकित राजगढ़िया की मां सरिता देवी और छोटे भाई संकेत राजगढ़िया ने मरणोपरांत अंगदान का संकल्प लिया. कतरास के समाजसेवी अंकित राजगढ़िया व उनके परिवार ने अंग व नेत्रदान के क्षेत्र में मिसाल कायम की है. बिहार-झारखंड का यह इकलौता परिवार है, जिसके घर के 4 लोगों ने मरणोपरांत नेत्रदान किया है.
अंकित ने पहले ही कर रखी है देहदान की घोषणा
खुद अंकित राजगढ़िया ने भी मरणोपरांत देहदान की घोषणा की है. उन्होंने बताया कि उनके परिवार से सबसे पहले उनके ताऊ स्वर्गीय देवी प्रसाद राजगढ़िया का पहला नेत्रदान 21 फरवरी 2014 को किया गय़ा. इसके बाद अंकित के पिता स्वर्गीय प्रकाश चंद्र राजगढ़िया ने 21 जून 2014 को और बड़ी मां स्वर्गीय बिमला देवी ने 2017 में नेत्रदान किया. अंकित के मामा स्वर्गीय सुरेश अग्रवाल का भी नेत्रदान हुआ है. अभी इसी वर्ष मार्च में अंकित ने अपने दोस्त की बहन राजनंदिनी का नेत्रदान कराया.
बिहार-झारखंड में नहीं था नेत्र बैंक, मगर हार न मानी
अंकित ने बताया कि जब उनके पिता का निधन हुआ तो उस वक़्त बिहार-झारखंड में एक भी सरकारी नेत्र बैंक नही था. सभी ने कहा कि नेत्रदान नही हो सकेगा. परंतु उनकी जिद और जुनून ने यह कर दिखाया. आसनसोल से डॉक्टरों की टीम आई और जिले का पहला नेत्रदान उनके पिता का हुआ. फिर राज्य का पहला नेत्र बैंक धनबाद पीएमसीएच में खुला. बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी पटना में 6 जुलाई 2014 को उन्हें नेत्रदान में उल्लेखनीय योगदान के लिए सम्मानित कर चुके हैं. उन्होंने उसी मंच से बिहार का पहला आई (नेत्र) बैंक पटना आईजीएमस में खोलने का एलान किया था, जो अगले 3 महीने में खुल भी गया. कानूनी रूप से एसएनएमएमसीएच की ओर से अंकित लगातार देहदान, नेत्रदान और अंगदान के प्रति लोगों को जागरूक करते आ रहे हैं. वह अब तक कुल 8 लोगों से नेत्रदान करा चुके हैं.
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